हाल के समय में अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और मार्च 2025 तिमाही में कमजोर आय भारत में शेयर कीमतों पर असर डाल सकती है। निफ्टी 50 की आय यील्ड इस साल फरवरी के अंत से 64 आधार अंक गिरावट घटी है जबकि इस दौरान अमेरिका में 10 वर्षीय ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड 27 आधार अंक बढ़ी है। इससे घरेलू शेयर बाजार में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के लिए यील्ड स्प्रेड अप्रैल के अंत तक ऋणात्मक हो गया जो इससे पहले तक धनात्मक बना हुआ था। अब यील्ड स्प्रेड यानी बॉन्ड यील्ड और निफ्टी के रिटर्न के बीच अंतर और कम होकर -0.18 फीसदी रह गया है जो अप्रैल 2024 के बाद सबसे कम है। फरवरी के अंत में वह 0.64 फीसदी पर 21 महीने के सर्वोच्च स्तर पर था।
ऐतिहासिक तौर पर 10 वर्षीय ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड और निफ्टी के मूल्यांकन के बीच विपरीत संबंध रहा है। अमेरिका में बॉन्ड यील्ड घटने से शेयर में तेजी आती है और निफ्टी 50 के पीई (प्राइस टु अर्निंग) गुणक में इजाफा होता है। सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सह-प्रमुख (शोध एवं इक्विटी रणनीति) धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘हाल में अमेरिकी बॉन्ड यील्ड तेजी से बढ़ी है। उसका इक्विटी सहित अन्य परिसंपत्तियों की कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
हालांकि हमने बाजार जोखिम प्रीमियम में भी गिरावट देखी है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अब शुल्क जंग से पीछे हटते दिख रहे हैं। इससे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका थोड़ी दूर हुई है। बॉन्ड यील्ड में तेजी से कुछ हद तक राहत मिली है जिससे भारत सहित वैश्विक स्तर पर शेयर भाव में तेजी आई है।’ इससे पहले 2020 और 2021 में अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट के बाद निफ्टी के पीई गुणक में वृद्धि देखी गई थी। पिछले दो वर्षों के दौरान निफ्टी 50 अर्निंग यील्ड अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में सीमित उतार-चढ़ाव के अनुरूप एक दायरे में रही।
वैश्विक जोखिम प्रीमियम में गिरावट के कारण विदेशी पूंजी प्रवाह में गिरावट आई है और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक पहले बिकवाल थे जो अब शेयर बाजार में शुद्ध लिवाल बन गए हैं। विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में 53 करोड़ डॉलर और मार्च में 62.1 करोड़ डॉलर की शुद्ध लिवाली की और मई में अभी तक 2.18 अरब डॉलर का निवेश किया है। हालांकि फरवरी में विदेशी निवेशकों ने 5.3 अरब डॉलर और जनवरी में 8.4 अरब डॉलर की बिकवाली की थी।
मई में निफ्टी 50 सूचकांक में 2.8 फीसदी की बढ़त और फरवरी के आखिर से उसमें 13 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। मगर विश्लेषकों का मानना है कि भारत में कंपनियों की आय में नरमी बनी रहने और शेयरों के अधिक मूल्यांकन के मद्देनजर निवेशकों के लिए यह अस्थायी राहत हो सकती है।
एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च के विश्लेषकों ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा है, ‘प्रति शेयर आय (ईपीएस) में वृद्धि जून तिमाही के बाद मध्य एक अंक में रही है। यह नरमी अगली तिमाहियों में भी जारी रह सकती है। निजी क्षेत्र में पूंजीगत निवेश में तेजी भी नहीं दिख रही है और शहरी खपत में नरमी बरकरार है तथा अमेरिका में नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच आईटी सेवाओं की रफ्तार भी सुस्त पड़ सकती है।’
निफ्टी 50 के लिए प्रति शेयर आय में अब तक पिछले साल के मुकाबले 5.1 फीसदी की वृद्धि हुई है जो पिछले 51 महीनों में सबसे सुस्त रफ्तार है। सूचकांक का पीई गुणक इस साल फरवरी के आखिर में 57 महीने के निचले स्तर 20 गुना से बढ़कर शुक्रवार को 23.3 गुना दर्ज किया गया।