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संस्थागत निवेशकों को अपफ्रंट मार्जिन देने से राहत मिली

Last Updated- December 07, 2022 | 1:40 AM IST

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने संस्थागत निवेशकों को अपफ्रंट मार्जिन दिए जाने से फिलहाल राहत दे दी है।


सेबी ने संस्थागत निवेशकों को भी रिटेल निवेशकों की ही तरह मार्जिन देने को कहा था। यानी अब संस्थागत निवेशकों को कैश सेगमेंट में कारोबार करने के लिए कोई मार्जिन नहीं देना होगा।

सेबी के नए सर्कुलर के अनुसार बाजार के कारोबारियों ने कै श मार्केट में सारी संस्थागत खरीद में अपफ्रंट मार्जिन लागू किए जाने पर परेशानी जताई थी। इसके चलते यह कारोबार पूर्ववत ही जारी रखने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया।

सभी संस्थागत कारोबार अगले निर्देश तक कैश मार्केट के कारोबार पर टी प्लस वन आधार पर मार्जिन को आकर्षित करते रहेंगे। इससे पहले सेबी की ओर से 19 अप्रैल को जारी सर्कुलर में सभी संस्थागत निवेशकों से शेयर खरीद से पहले अपना मार्जिन जमा करने के निर्देश दिए गए थे।

यह कदम संस्थागत निवेशकों को रिटेल निवेशकों के साथ एक ही प्लेटफार्म पर खड़ा करने  के लिए उठाया गया था। इससे पहले केश मार्केट में संस्थागत निवेशकों के लिए  कोई मार्जिन सिस्टम नहीं था, जबकि दलाल रिटेल निवेशकों द्वारा किए गए कारोबार पर मार्जिन वसूलते थे।

पहले जारी सर्कुलर में कहा गया था डेरिवेटिव बाजार से संबध्द कैश मार्केट में सभी निवेशकों को एक ही मंच पर खड़ा करने के लिए अबसभी संस्थागत कारोबार में भी उसी तरह मार्जिन देना होगा जो दूसरे निवेशकों चुकाते हैं। बाजार के फ्यूचर और ऑप्शन क्षेत्र में रिटेल और संस्थागत दोनों निवेशकों के लिए एक मार्जिन सिस्टम है।

इस नियम को लागू करने में सबसे बड़ी समस्या अदक्ष बैंकिंग सिस्टम है। अपफ्रंट मार्जिन की गणना के लिए  रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) की दरकार होती है। यह वर्तमान में केवल सुबह 10 बजे से 2.30 बजे के बीच ही खुलता है। यह समय काफी कम है।

First Published - May 23, 2008 | 11:41 PM IST

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