लंबे वीकेंड के बाद मंगलवार को जब बाजार खुले तो भारतीय शेयरों में जोरदार तेजी देखी गई। निफ्टी 50 इंडेक्स में 2.4% तक की बढ़त हुई और यह 2 अप्रैल के बंद स्तर को पार कर गया। इस तेजी के साथ भारत दुनिया का पहला बड़ा शेयर बाजार बन गया जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से हुए नुकसान की पूरी भरपाई कर ली। जहां भारत ने अपना नुकसान पूरा कर लिया है, वहीं एशिया के दूसरे शेयर बाजारों का एक बड़ा इंडेक्स अब भी 3% से ज्यादा नीचे है।
भारत बना निवेशकों का भरोसेमंद ठिकाना
निवेशक अब भारतीय बाजार को ग्लोबल उतार-चढ़ाव के बीच एक सुरक्षित जगह के तौर पर देख रहे हैं। भारत की बड़ी घरेलू अर्थव्यवस्था को माना जा रहा है कि यह संभावित वैश्विक मंदी का बेहतर सामना कर सकती है, जबकि कई देशों पर अमेरिका के टैरिफ का सीधा असर ज्यादा है।
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर के बीच भारत को अब एक वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देखा जा रहा है। जहां चीन अमेरिकी टैरिफ के जवाब में आक्रामक रुख अपना रहा है, वहीं भारत ने शांत रवैया अपनाते हुए अमेरिका से अस्थायी व्यापार समझौते की कोशिश की है।
मध्यम अवधि में भारत बेहतर विकल्प: विश्लेषक
ग्लोबल सीआईओ ऑफिस के सीईओ गैरी डगन ने कहा, “हम अपनी पोर्टफोलियो में भारत का वजन ज्यादा रख रहे हैं।” उनका कहना है कि भारत की घरेलू ग्रोथ मजबूत है और चीन से सप्लाई चेन हटने की संभावना भारत को एक सुरक्षित निवेश विकल्प बनाती है।
हाल के दो तिमाहियों में भारतीय शेयर बाजार में करीब 10% की गिरावट देखी गई थी। इसकी वजह थी आर्थिक ग्रोथ को लेकर चिंता, शेयरों के ऊंचे वैल्यूएशन और विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली। इस साल अब तक विदेशी निवेशक $16 अरब से ज्यादा की भारतीय इक्विटी बेच चुके हैं, जबकि 2022 में यह आंकड़ा $17 अरब का था, जो अब तक का सबसे ज्यादा है।
हालांकि अब बाजार में थोड़ी राहत इसलिए भी दिख रही है क्योंकि शेयरों की कीमतें तुलनात्मक रूप से सस्ती हो गई हैं, और उम्मीद है कि रिज़र्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करके अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करेगा। साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी निवेशकों का मनोबल बढ़ाया है।
फिलहाल निफ्टी 50 इंडेक्स अपने अगले 12 महीनों की अनुमानित कमाई के मुकाबले 18.5 गुना पर ट्रेड कर रहा है, जबकि इसका पांच साल का औसत 19.5 गुना और पिछले साल सितंबर में इसका पीक 21 गुना था।
कम अमेरिकी निर्भरता भारत के लिए फायदेमंद
सोसाइटी जेनरल के रणनीतिकार रजत अग्रवाल के अनुसार, “भारत अमेरिकी टैरिफ से पूरी तरह सुरक्षित तो नहीं है, लेकिन इसका सीधा असर बाकी देशों के मुकाबले काफी कम है। खासकर गुड्स एक्सपोर्ट में भारत की अमेरिका पर निर्भरता कम है। अगर तेल की कीमतें नीचे बनी रहती हैं, तो इसका भी फायदा भारतीय शेयर बाजार को मिलेगा।”
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में अमेरिका के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.7% थी, जबकि चीन की 14% और मेक्सिको की 15% थी। इसी वजह से भारत को वैश्विक तनावों के बीच कम जोखिम वाला बाजार माना जा रहा है।