एक समय उभरते बाजारों (ईएम) में पसंदीदा रहा चीन अब लंबे समय से कमजोर प्रतिफल, अनिश्चित आर्थिक परिवेश और भूराजनीतिक तनातनी के कारण ईएम बास्केट से अलग-थलग पड़ता जा रहा है। ब्लैकरॉक द्वारा जारी लोकप्रिय उभरते बाजार-केंद्रित एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ, जिसमें चीन शामिल नहीं है) की परिसंपत्तियां इस महीने बढ़कर 11 अरब डॉलर पर पहुंच गईं, जो तीन साल पहले 50 करोड़ डॉलर से कम थी। इस तरह इनमें 22 गुना वृद्धि हुई है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि खासकर अमेरिका और यूरोपीय क्षेत्र से बड़ी तादाद में खामोश निवेशक अपना निवेश ऐसे ईटीएफ में बढ़ा रहे हैं जिनमें चीन शामिल नहीं है।
इस रुझान का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत होगा क्योंकि उसका बिना चीन उभरते बाजार सूचकांक में ज्यादा भारांक है। मुख्यभूमि की कंपनियों का 22.07 प्रतिशत के साथ रेग्युलर एमएससीआई ईएम इंडेक्स में सबसे अधिक भारांक है। बिना चीन वाले इंडेक्स में यह भारांक अन्य देशों के लिए पुन: वितरित हो जाता है। इस कारण भारत और ताइवान के भारांक 4.95 प्रतिशत से ज्यादा तक बढ़े हैं और दक्षिण कोरिया के भारांक में 4.16 प्रतिशत तक की तेजी आई।
स्मार्टकर्मा प्रकाशित करने वाले पेरिस्कोप एनालिटिक्स के विश्लेषक ब्रायन फ्रीटास का कहना है, ‘चीन की अर्थव्यवस्था के बार-बार चूकने और बाजारों पर दबाव होने से हम चीन से निवेश की निकासी देख सकते हैं और इसका मतलब है अन्य उभरते बाजारों में निवेश बढ़ना।’ उन्होंने कहा, ‘2021 में हमने सबसे पहले इस बात पर प्रकाश डाला था कि अमेरिकी और यूरोपीय निवेशक अपने इक्विटी निवेश बिना चीन वाले अन्य सूचकांकों में क्यों कर रहे हैं।
आगामी प्रतिफल के अलावा चीन के बारे में सार्वजनिक एवं राजनीतिक राय में कठोरता मुख्य कारक थी।’ चीन के बाजारों के खराब प्रदर्शन करने की वजह से एमएससीआई ईएम एक्स-चाइना सूचकांक ने पिछले तीन साल में एमएससीआई ईएम और एमएससीआई एशिया एक्स-जापान सूचकांक के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। 12 प्रतिशत की ताजा तेजी के बावजूद चीनी शेयरों का सीएसआई 300 इंडेक्स एक वर्षीय और तीन वर्षीय अवधि के लिहाज से अभी भी 10 प्रतिशत और 29 प्रतिशत नीचे है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के मुख्य कार्याधिकारी और सह-प्रमुख प्रतीक गुप्ता ने कहा कि ईएम एक्स चाइना ईटीएफ एक उभरता परिसंपत्ति वर्ग है। उन्होंने कहा, ‘चीन के कमजोर प्रदर्शन की वजह से एमएससीआई ईएम ईटीएफ में निवेश करने वालों को नुकसान हुआ। इस समय अनिश्चितता यह है कि कि वे चीन को पूरी तरह बाहर रखें जिसका मूल्यांकन काफी नीचे है और उन बाजारों में निवेश करना शुरू करें जो अपेक्षाकृत महंगे हैं।’
इस समय सीएसआई 300 सूचकांक 11 गुना के 12 महीने आगामी पीई मल्टीपल पर कारोबार कर रहा है। अगर तुलना करें तो भारतीय बाजार 20 गुना के पीई और ताइवान 17.4 गुना के पीई मल्टीपल पर हैं। इन दोनों का एक्स-चाइना सूचकांक में मुख्य भारांक हैं।
हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि निवेश के मामले में चीन से परहेज करने का निर्णय सिर्फ कमजोर प्रदर्शन या मूल्यांकन संबंधित चिंताओं पर आधारित नहीं है। फ्रीटास का कहना है, ‘इसकी वजह अमेरिकी चुनाव नजदीक होना भी माना जा सकता है जिससे चीन से निवेश अन्य उभरते बाजारों की ओर जा सकता है।’