इस साल अब तक कंपनियों ने ‘प्री-आईपीओ प्लेसमेंट’ यानी आईपीओ से पहले शेयर बेचकर करीब 1,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जो 2017 के बाद अब तक की सबसे अधिक राशि है। प्री-आईपीओ प्लेसमेंट अक्सर नई शेयर बिक्री से महीनों पहले पेश किए जाते रहे हैं और इनसे किसी आईपीओ का मूल्यांकन आधार तैयार करने और उस कंपनी में निवेशकों का भरोसा जगाने में मदद मिलती है।
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2023 के पहले 9 महीनों के दौरान 11 कंपनियों ने प्री-आईपीओ प्लेसमेंट से 960 करोड़ रुपये जुटाए। इस साल इस रास्ते शेयर बिक्री करने वाली कुछ कंपनियों में एसबीएफसी फाइनैंस (150 करोड़ रुपये), यथार्थ हॉस्पिटल (120 करोड़ रुपये), जुपिटर लाइफ लाइन (123 करोड़ रुपये) और साइंट डीएलएम (108 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
एंकर आवंटन आईपीओ खुलने से सिर्फ एक दिन पहले किए जाते हैं। हालांकि प्री-आईपीओ प्लेसमेंट किसी आईपीओ के खुलने से पहले और डीआरएचपी पेश करने के बाद कभी भी किया जा सकता है। साथ ही, प्री-आईपीओ शेयरों का आंवटन एंकर आवंटन के विपरीत किसी भी कीमत पर किया जा सकता है। एंकर श्रेणी में शेयरों को आवंटन सिर्फ आईपीओ कीमत दायरे में ही किया जा सकता है।
प्री-आईपीओ प्लेसमेंट के दौरान शेयर खरीदने वाले निवेशकों पर सूचीबद्धता के बाद 6 महीने की लॉक-इन अवधि लागू रहती है। ऐक्सिस कैपिटल के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं सह-मुख्य कार्याधिकारी चिराग नेगांधी ने कहा, ‘कंपनियों की गुणवत्ता और एंकर बुक में सीमित आवंटन का मतलब है कि अधिक से अधिक फंड निवेश के लिए प्री-आईपीओ विकल्प चुन रहे हैं।’
बैंकरों का कहना है कि पहले प्री-आईपीओ प्लेसमेंट की प्रक्रिया काफी पहले हो जाती थी, लेकिन अब यह आईपीओ के आसपास और आईपीओ कीमत दायरे में ही होती है।
सेंट्रम कैपिटल में पार्टनर प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, ‘पहले प्री-आईपीओ शेयरों को 6 महीने की लॉक-इन अवधि की वजह से कम भाव पर बेचा जाता था। अब इन्हें मूल्यांकन के बेंचमार्क के तौर पर लिया जाता है।’
इक्विरस में प्रबंध निदेशक (ईसीएम) मुनीश अग्रवाल ने कहा, ‘कुछ ढांचागत बदलाव आया है। अतीत में नजर डालें तो पता चलता है कि प्री-आईपीओ किसी आईपीओ पेशकश से काफी पहले पेश किए जाते थे। अब प्री-आईपीओ संबद्ध निर्गमों के आसपास ही पेश किए जा रहे हैं।
कंपनियां मूल्यांकन मानक और बाजारों को यह अहसास दिलाने के लिए आईपीओ का इस्तेमाल कर रही हैं कि प्रतिष्ठित निवेशक भी इस मूल्यांकन पर सहज हैं। अतीत में आईपीओ से पहले कारोबारी जरूरतें पूरी करने के लिए प्री-आईपीओ पेश किया जाता था।
बाजार कारोबारियों का कहना है कि इस साल हुए प्री-आईपीओ सौदों में तेजी के रुझान का संकेत है। 2023-24 की पहली छमाही के दौरान 31 आईपीओ पेश किए गए थे जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले दोगुने से ज्यादा हैं। कारोबारियों का कहना है कि हाल के महीनों में डीआरएचपी आवेदनों में तेजी को देखते हुए लगता है कि प्री-आईपीओ सौदों की मजबूत रफ्तार बरकरार रहेगी।
पिछले दो महीनों में 30 से ज्यादा कंपनियों ने बाजार नियामक सेबी के पास अपने आवेदन सौंपे हैं। इनमें से कई कंपनियों ने प्री-आईपीओ विकल्प के जरिये निवेशकों को शेयर आवंटित करने का प्रावधान किया है। साथ ही इस तरह के निवेश के लिए कुछ म्युचुअल फंडों ने अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड भी जारी किए हैं। इस तरह के फंड प्री आईपीओ सौदों की तलाश में रहते हैं।