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समृध्दि के लिए कैसे चुनें अच्छे फंड

Last Updated- December 07, 2022 | 1:42 AM IST

एक आम निवेशक के  लिए यह जानना कठिन है कि जिस फंड में उसने निवेश किया है वह  किस हद तक उसके अपेक्षाओं के अनुसार है।


बाजार में विभिन्न म्युचुअल फंड कंपनियों की सैकड़ों योजनाएं उपलब्ध हैं, ऐसे में सही फंड का चयन करना आसान नहीं है। आइए आज हम उन महत्वपूर्ण विन्दुओं पर प्रकाश डालते हैं जो उपयुक्त फंड का चुनाव करने में आपके लिए मददगार होंगे।

फंड प्रबंधकों की कार्य शैली

फंड प्रबंधकों को बाजार के उतार-चढ़ावों से निपटने का बेहतर अनुभव होना चाहिए। दूसरी बात यह कि निवेश संबंधी निर्णय निवेश की पूर्ववर्णित शर्तों के अनुसार लिए जाने चाहिए। इसका अर्थ यह है कि मिड कैप फंड का निवेश मिड कैप में और लार्ज कैप फंड का निवेश लार्ज कैप में ही किया जाना चाहिए।

क्या है निवेश की नीति

अधिकांश फंड हाउस में निवेश कैसे और कहां किया जाए, यह निर्णय मुख्य निवेश अधिकारी द्वारा लिया जाता है। होना यह चाहिए कि निवेश की प्रक्रिया पहले से तय हो जिसके अनुसार मुख्य निवेश अधिकारी भी चले। इससे एक बात साबित होगी कि फंड हाउस निवेशकों के हित में काम कर रही है न कि फंड प्रबंधकों के हित में।

यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि फंड हाउस नई परिसंपत्तियां किस प्रकार संचित कर रही हैं। क्या इसके लिए वह बेमतलब के  नए फंड लांच कर रही है या पहले से वर्तमान फंड के प्रदर्शन में सुधार कर निवेशकों को आकर्षित कर रही है? अगर कोई भी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी अगर नए फंड ऑफर का रास्ता अपनाती है तो विशेषज्ञों की नजर में यह गलत है।

फंड का प्रकार

नए निवेशकों को निवेश की अनुमति देने के आधार पर म्युचुअल फंड योजनाओं को दो वर्गों में बांटा जा सकता है-

सतत खुली योजनाएं- ऐसी योजनाएं  निवेशकों के लिए अपने द्वार हमेशा खुली रखती हैं और निवेशक जब भी चाहें इस योजना से बाहर हो सकते हैं।
नियतकालिक योजनाएं- नियतकालिक योजनाओं में केवल नए फंड ऑफर के दौरान ही निवेश किया जा सकता है। तदुपरांत इसमें एक पूर्वनिर्धारित अवधि तक निवेश नहीं किया जा सकता है।

फंड का वर्ग

फंडों को इक्विटी, ऋण और बैलेंस्ड तीन वर्गों में बांटा जा सकता है। नाम से ही स्पष्ट है कि इक्विटी और ऋण फंड प्रमुख रुप से क्रमश: शेयरों और ऋण उपकरणों में निवेश करते हैं। बैलेंस्ड फंडों में इक्विटी और ऋण का अच्छा मिश्रण होता है।

शुल्क संरचना

फंड प्रबंधन की सेवा उपलब्ध कराने के बदले में परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां निवेशकों से शुल्क लेती हैं। अन्य सेवाओं की तरह ही फंड प्रबंधन में भी पैसे लगते हैं। फंड प्रबंधकों एवं निवेश विश्लेषकों को परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां अच्छा खासा वेतन देती हैं। इसके अलावा यह कस्टोडियन और रजिस्ट्रार को भी शुल्क देती है।

यह सब खर्च फंड से ही आवर्ती आधार पर निकाले जाते हैं। ऐसे खर्चों को हल्के में नहीं लेना चाहिए, उच्च खर्चे दीर्घावधि में आपके निवेश पर मिलने वाले प्रतिफल को प्रभावित करते हैं और ये फंड के प्रदर्शन को भी प्रभावित करते हैं।

एक बार लिया जाने वाला प्रभार

आवर्ती खर्च के अलावा अधिकांश फंड निवेश करते समय निवेशकों से एक बार अपफ्रंट चार्ज लेती हैं। मान लेते हैं कि 10 रुपये एनएवी वाले किसी म्युचुअल फंड योजना में निवेश किया जाता है। अगर प्रवेश प्रभार 2 प्रतिशत का है तो निवेशक को प्रत्येक यूनिट के लिए के लिए 10.20 रुपये देने होंगे। अतिरिक्त लिए गए 20 पैसे का प्रयोग अभिकर्ताओं को कमीशन देने में किया जाता है। इसी प्रकार कुछ फंड हाउस निकासी प्रभार भी लेते हैं।

आयकर संबंधी लाभ

विभिन्न म्युचुअल फंड योजनाओं के आयकर प्रावधान भी अलग-अलग होते हैं इसलिए इन पर भी गौर किया जाना चाहिए।

पोर्टफोलियो का मूल्यांकन

विभिन्न फंड हाउस के सेवा के स्तर भी भिन्न-भिन्न होते हैं। कुछ फंड हाउस अपने निवेशकों को नियमित तौर पर स्टॉक आवंटन, सेक्टोरल आवंटन, परिसंपत्ति आवंटन, पोर्टफोलियो टर्नओवर रेशियो और एक्सपेंस रेशियो आदि से अवगत कराती रहती हैं। अधिकांश फंड हाउस इस तरह की जानकारी मासिक या तिमाही उपलब्ध कराते हैं। हालांकि ऐसी सूचनाएं मानकीकरण के आधार पर उतनी सफल नहीं होती जितनी होनी चाहिए। इसलिए तुलना करते समय निवेशकों को सावधान रहना चाहिए।

फंड के प्रदर्शन की समीक्षा

प्रत्येक फंड का एक बेंचमार्क होता है जिसके आधार पर फंड के प्रदर्शन को मापा जाता है। बीएसई सेंसेक्स, निफ्टी, बीएसई-200 या सीएनएक्स-500 आदि बेंचमार्क के उदाहरण हो सकते हैं। निवेशकों को फंड के प्रदर्शन की तुलना बेंचमार्क के साथ-साथ बराबरी के फंडों से भी करनी चाहिए। फंड के प्रदर्शन की तुलना बाजार की विभिन्न परिस्थितियों को देखते हुए सावधानीपूर्वक करनी चाहिए।

First Published - May 26, 2008 | 12:30 AM IST

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