वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि कार्पोरेट बांड हमारे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगें।
लेकिन इसके लिए देश में आवश्यक बाजार न होने के कारण ये आज भी विकसित नहीं हो पाए है। पहली बार देश में कार्पोरेट बांड के लिए इलेक्ट्रानिक टे्रडिंग मशीन की शुरुआत करते हुए एक समारोह में कहा कि ‘हमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए आने वाले पांच सालों में लगभग 5 खरब अमेरिकी डॉलर की जरुरत पड़ेगी। लेकिन देश में कार्पोरट बांडों का उपयुक्त बाजार न होने के कारण ये क्षेत्र आज भी विकास नहीं कर पाएं हैं।’
अभी देश में सरकारी कंपनियां बांड जारी करने में निजी कंपनियों से आगे है। वित्त मंत्री ने कहा कि सेबी ने कार्पोरेट बांड के लिए नियम-कायदों को तय कर दिया है। इसके अलावा सेबी बांड को जारी करने और सूची बद्ध करने की प्रक्रिया को सरल करने की योजना भी बना रहीं हैं। चिदंबरम ने कहा कि कार्पोरेट बांड के लिए देश में एक मजबूत पैन इंडिया बाजार की जरुरत है, और इसके लिए सभी राज्यों में एकसमान स्टांप ड्यूटी का होना जरुरी है।
अभी देश के कई राज्यों में अलग-अलग स्टांप शुल्क लिये जाते हैं। वित्त मंत्री का कहना है कि एकसमान स्टांप शुल्क राज्यों के राजस्व को बढाएगा, न की घटाएगा। वित्त मंत्री ने राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति को इस मुद्दें पर विचार करने का सुझाव भी दिया हैं। सरकार ने घाटे में चल रहें उद्यमों में विदेशी संस्थागत निवेश क्यों रोक दिया है? इस प्रश्न का जवाब देते हुए चिंदबरम ने कहा कि ये मौद्रिक प्रंबधन का मुद्दा है।
आरबीआई विदेशी संस्थागत निवेशकों को कार्पोरेट बांड जारी करते हुए सावधानी बरत रही हैं।वित्त मंत्री ने सरकार द्वारा कार्पोरेट बांड बाजारों में किसी भी तरह का सुधार न किये के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इसके लिए आर एच पाटिल समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा सरकार ने समिति के कई सुझावों को क्रियान्वित भी कर दिया हैं। इस बजट में बांड के ऊपर से टीडीएस को समाप्त करने की घोषणा भी कर दी गई हैं।