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सुनहरे पांच साल

Last Updated- December 07, 2022 | 9:01 AM IST

ये था सुनहरा दौर


सेंसेक्स ने 2007 में 47 फीसदी का उछाल दर्ज किया था। किसी एक साल में हासिल हुई यह दूसरी सबसे बड़ी बढ़त थी।

इससे पहले 2003 में सेंसेक्स में 73 फीसदी की ऐतिहासिक बढ़त दर्ज की गई थी। अगर अंकों की बात की जाए तो 2006 को 13,786.91 अंकों पर अलविदा कहने के बाद इसने 2007 में 6500 अंकों की बढ़त लेकर 20,286.99 की ऐतिहासिक ऊंचाई के साथ 2008 में कदम रखा। 

 इस दौर की सबसे खास बात यह थी कि महज एक माह यानी अक्टूबर में इसने 18 हजार, 19 हजार और 20 हजार के अहम पड़ावों को पार किया।

…गुजरा जमाना

2007 का दौर तो सेंसेक्स के लिए सबसे सुनहरा दौर था ही मगर इससे पहले भी पिछले चार सालों से शेयर बाजार के लिए हर साल कुछ न कुछ बढ़त देकर ही जा रहा था।

2006 में इसने 4388 अंकों की बढ़त हासिल की थी जबकि 2005 में 2800 अंक तो 2004 में महज 765 अंकों की बढ़त ही इसको मिल सकी थी। 2003 के कुल अंकों के आधार पर सेंसेक्स में हुई 73 फीसदी की बढ़त के हिसाब से उसमें 2461 अंकों का इजाफा हुआ था।

सुस्त थी रफ्तार

दिलचस्प बात यह है कि इन पांच सालों के सुनहरे दौर से पहले सेंसेक्स को 1990 में 1000 का पहला पड़ाव पार करने के बाद 6000 की मंजिल तक पहुंचने में 10 साल लग गए थे।

क्यों था सुनहरा

विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा इस साल 16 अरब डॉलर का भारी-भरकम निवेश तो इस दौर को सुनहरा बनाने के लिए अहम कारण था ही, 9 फीसदी से ज्यादा की विकास दर, कंपनियों का बेहतरीन प्रदर्शन, राजनीतिक स्थिरता और मुक्त बाजार के साथ सामान्य अंतरराष्ट्रीय हालात इसके मुख्य कारण थे।

क्यों गिरी गाज

विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनी रकम निकालने, विकास दर पर मंडराता कड़ी मौद्रिक नीति का साया, महंगाई, कच्चे तेल में लगी आग, बढ़ी ब्याज दरें, कंपनियों का खराब प्रदर्शन, राजनीतिक अस्थिरता और कई देशों में मंदी और खाद्यान्न संकट के चलते बिगड़े हालात, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गिरावट आदि साल को खराब बनाने में प्रमुख कारण रहे।

First Published - July 2, 2008 | 11:40 PM IST

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