बोफा एशिया फंड मैनेजर के ताजा सर्वेक्षण से पता चलता है कि 19 फीसदी वैश्विक फंड मैनेजर भारत पर तेजी का नजरिया बरकरार रखे हुए हैं। बोफा ने कहा कि 2 फरवरी से 8 फरवरी के बीच हुए सर्वेक्षण में कुल 249 प्रतिभागियों (जिनकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 656 अरब डॉलर हैं) ने हिस्सा लिया।
बोफा के अनुसार 568 अरब डॉलर एयूएम वाले 209 भागीदारों ने ग्लोबल एफएमएस के सवालों का जवाब दिए जबकि 331 अरब डॉलर एयूएम वाले 145 भागीदारों ने रीजनल फंड मैनेजर सर्वेक्षण के सवालों के जवाब दिए।
सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है कि तकनीक पर अनुकूल नजरिया बरकरार रहा वहीं रियल एस्टेट अब पसंदीदा नहीं रहा। विभिन्न बाजारों में निवेशकों ने जापान के अलावा भारत और ताइवान (शुद्ध रूप से 19-19 फीसदी ओवरवेट) को तरजीह दी जबकि थाईलैंड (शुद्ध रूप से 17 फीसदी अंडरवेट) और चीन (-23 फीसदी) से दूर रहे।
वैश्विक स्तर पर 61 फीसदी प्रतिभागियों ने अल्फाबेट, एमेजॉन, ऐपल, मेटा प्लेटफॉर्म्स, माइक्रोसॉफ्ट, एनवीडिया और टेस्ला पर तेजी का नजरिया बरकरार रखा जिन्हें मैग्निफिसेंट सेवन के नाम से जाना जाता है। बोफा ने कहा कि ज्यादातर ने चीन की इक्विटी को शॉर्ट करना (25 फीसदी प्रतिभागी) और जापान की इक्विटी पर लॉन्ग की रणनीति अपनाने की बात की।
चीन के इक्विटी बाजार निवेशकों को उत्साहित करने में नाकाम रहे और ज्यादातर ने या तो बाहर रहने या उस बाजार से दूर रहना पसंद किया। करीब 15 फीसदी एफएमएस प्रतिभागी किसी उछाल के समय अपना निवेश घटाने पर विचार कर रहे हैं।
दूसरी ओर जापान को लेकर निवेशकों का तेजी का नजरिया बरकरार है और 29 फीसदी एफएमएस प्रतिभागी अगले 12 महीने में उसके इक्विटी बाजार से दो अंकों में रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं। 25 फीसदी प्रतिभागी नहीं मान रहे हैं कि जापान के इक्विटी बाजार साल 2024 में सर्वोच्च स्तर पर पहुंचेंगे।
इस हफ्ते जापान के बाजारों ने 34 साल के उच्चस्तर को छुआ और निक्केई 38,000 पर पहुंच गया जो जनवरी 1990 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों ने हालिया नोट में कहा है कि वैश्विक इक्विटी के स्तर पर जापान ओवरवेट वाला बाजार बना हुआ है।