भारतीय निवेशक विविधीकरण और विदेशी मौकों की लगातार तलाश में हैं। ऐसे में देश के स्टॉक एक्सचेंज गिफ्ट सिटी के ग्लोबल एक्सेस प्रोवाइडर (जीएपी) ढांचे का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) से फायदा उठाने के लिए कर रहे हैं ताकि ईटीएफ यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और म्युचुअल फंड से लेकर चुनिंदा डेरिवेटिव जैसे ओवरसीज प्रोडक्ट(विदेश में जारी किए जाने वाली योजनाएं) की पेशकश की जा सके।
आईएफएससी के नियामक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) ने सीमा पार पूंजी निवेश को नियंत्रित करने और भारतीय बाजारों को वैश्विक वित्तीय केंद्रों से जोड़ने के लिए अगस्त में जीएपी ढांचा पेश किया था।
इस व्यवस्था के तहत ग्लोबल एक्सेस प्रोवाइडर विदेशी एक्सचेंजों में सूचीबद्ध वित्तीय साधनों में ट्रेडिंग की सुविधा दे सकते हैं। वे उन विदेशी म्युचुअल फंडों और वैकल्पिक निवेश फंडों के लिए रेफरल समझौते कर सकते हैं जिनका विदेशों में सीधे कारोबार नहीं होता। साथ ही, वे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत अनुमत अतिरिक्त योजनाओं की भी पेशकश कर सकते हैं।
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अनुमत पेशकशों में कुछ वैश्विक डेरिवेटिव भी शामिल हो सकते हैं। लेकिन इनमें इंडेक्स डेरिवेटिव, बॉन्ड डेरिवेटिव या आईएफएससी में मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों पर पहले से उपलब्ध डॉलर-रुपये के अनुबंध शामिल नहीं हैं।
सूत्रों ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत गिफ्ट सिटी स्थित नैशनल स्टॉक एक्सचेंज की अंतरराष्ट्रीय शाखा इन पेशकशों के लिए एक छोटी सहायक कंपनी एनएसईआईएक्स ग्लोबल एक्सेस आईएफएससी गठित कर रही है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अगस्त में इस सहायक कंपनी को मंज़ूरी दी थी।
प्रतिद्वंदी बीएसई के इंडिया इंटरनैशनल एक्सचेंज (इंडिया आईएनएक्स) ने 2018 में एक वैश्विक एक्सेस प्लेटफॉर्म बनाया था। यह पहले से ही करीब 10 वैश्विक ब्रोकरों और 5,000 से ज्यादा ग्राहकों के साथ काम कर रहा है। एक्सचेंज अब अपनी एक्सचेंज-ट्रेडेड योजनाओं की सूची बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहा है।
इंडिया आईएनएक्स के एक प्रवक्ता ने कहा, वैश्विक म्युचुअल फंडों के बड़े समूह जैसी योजनाओं में हम परिचालन के लिए तैयार हैं और कागजी कार्रवाई जल्द पूरी करने में जुटे हैं। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के बैंकों के साथ बातचीत चल रही है। हमें उम्मीद है कि ये समझौते जल्द पूरे हो जाएंगे। हम रेफरल पार्टनर के रूप में काम करने के लिए कई अन्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरों से भी बात कर रहे हैं।
आईएफएससीए को उम्मीद है कि यह ढांचा वैश्विक विविधीकरण की निवेशकों की बढ़ती रुचि को पूरा करेगा, चाहे वह ज्यादा रिटर्न के लिए हो, कमोडिटी और मुद्रा जोखिम के हेजिंग के लिए हो या बाजारों में अंतर का फायदा उठाने के अवसरों के लिए हो।
लेकिन उद्योग के अधिकारियों ने कुछ अनिश्चितताओं की ओर इशारा किया है। एक ने बताया कि सर्कुलर में यह मान लिया गया है कि भारतीय ब्रोकर सीधे अंतरराष्ट्रीय स्टॉक नहीं बेच सकते जबकि कई ब्रोकर गिफ्ट सिटी के बाहर पहले से ही ऐसा कर रहे हैं।
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उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, जब तक ब्रोकरों को आईएफएससी के माध्यम से काम करने के लिए अनिवार्य नहीं किया जाता, तब तक कई ब्रोकर अतिरिक्त स्टाफ और अनुपालन आवश्यकताओं को देखते हुए वहां अलग इकाइयां खोलना टाल सकते हैं।
इस ढांचे में यह प्रावधान है कि वैश्विक पहुंच के लिए सभी ग्राहकों की रकम आईएफएससी आधारित बैंक खातों के माध्यम से ही भेजी जाएगी। आईएफएससीए ने गिफ्ट सिटी के बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं को सीमा-पार के निवेश को प्रोसेस करने की भी अनुमति दी है, जिससे नियमन के भीतर दक्षता में इजाफा होगा।
आईएफएससीए के कार्यकारी निदेशक प्रदीप रामकृष्णन ने कहा, नियामक ने आईएफएससी में बैंकों और पीएसपी (भुगतान सेवा प्रदाताओं) को वैश्विक पहुंच की गतिविधियों के लिए धन की आवाजाही की सुविधा की भी अनुमति दी है, जिससे विनियमित तरीके से सीमा पार भुगतान में दक्षता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
निवासी भारतीय व्यक्तियों के लिए केवल भारतीय रिजर्व बैंक की उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) के अंतर्गत अनुमति वाली योजनाएं ही उपलब्ध होंगी। नियामक ने वैश्विक पहुंच प्रदाता के रूप में कार्य करने वाली संस्थाओं के लिए नेटवर्थ की सीमा और पात्रता शर्तों के साथ जोखिम प्रबंधन और आंतरिक नियंत्रण के मानदंड भी तय किए हैं।