नई दिल्ली में आयोजित चौथे कौटिल्य सम्मेलन में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम बातें कहीं। उन्होंने बताया कि अमेरिका के ऊंचे आयात शुल्क, व्यापार प्रतिबंध और अनिश्चितताओं के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था ने अब तक मजबूती दिखाई है। मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक विकास की रफ्तार उम्मीदों के मुताबिक रही है। हालांकि, अनिश्चितता आजकल हर जगह चर्चा का विषय है, लेकिन इसका असर असल अर्थव्यवस्था पर अभी तक कम ही दिखा है। फिर भी, उन्होंने माना कि अलग-अलग देशों की विकास गति में अंतर के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था कुछ समय तक अपनी पूरी क्षमता से कम प्रदर्शन कर सकती है।
भारत की बात करें तो मल्होत्रा ने देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने दशकों की मेहनत से अपनी आर्थिक नींव को मजबूत किया है। विदेशी मुद्रा भंडार, फरवरी से नियंत्रित महंगाई, कम होता चालू खाता घाटा और बैंकों की मजबूत बैलेंस शीट इसका सबूत हैं। उन्होंने नीति निर्माताओं, नियामकों और बाजार में हिस्सा लेने वालों की तारीफ की, जिनके प्रयासों से भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत बनी हुई है। मल्होत्रा ने कहा कि जहां कई विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं कमजोर दिख रही हैं, वहीं भारत ने हर मुश्किल के बावजूद स्थिर विकास का रास्ता पकड़ा है।
मल्होत्रा ने पिछले पांच सालों की आर्थिक चुनौतियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे झटकों ने आपूर्ति श्रृंखला को बुरी तरह प्रभावित किया। इनके कारण कई देशों में महंगाई कई दशकों के उच्च स्तर पर पहुंच गई। भारत में भी वैश्विक कमोडिटी और घरेलू खाद्य कीमतों में उछाल के कारण महंगाई 4 प्रतिशत से ऊपर चली गई थी। लेकिन फरवरी 2025 तक भारत ने महंगाई को 4 प्रतिशत के लक्ष्य के भीतर लाने में कामयाबी हासिल की।
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उन्होंने यह भी बताया कि आपूर्ति पक्ष से आने वाली महंगाई को नियंत्रित करने में मौद्रिक नीति ज्यादा प्रभावी नहीं होती। इस दौरान RBI ने जो सबसे बड़ा सबक सीखा, वह था संकट के समय आपूर्ति और मांग पक्ष के लिए बनाई गई नीतियों से सही समय पर बाहर निकलने की रणनीति। मल्होत्रा ने कहा कि पिछले दो दशकों ने केंद्रीय बैंकों के लिए कई सबक दिए हैं। पहले की शांत अवधि अब संकट प्रबंधन के दौर में बदल गई है। केंद्रीय बैंक अब स्थिर अर्थव्यवस्थाओं को छोटे-मोटे बदलाव करने की बजाय बड़े और अप्रत्याशित वैश्विक झटकों के खिलाफ पहली रक्षा पंक्ति की तरह काम कर रहे हैं।
मल्होत्रा ने RBI की स्वतंत्रता और जवाबदेही के बीच संतुलन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने RBI को जरूरी स्वतंत्रता दी है, लेकिन साथ ही जवाबदेही भी सुनिश्चित की है। यह संतुलन भारत की आर्थिक स्थिरता का एक बड़ा कारण है। उन्होंने यह भी बताया कि RBI महंगाई लक्ष्यीकरण ढांचे की समीक्षा कर रहा है। इस बारे में RBI ने अपनी राय सरकार को दी है, लेकिन अंतिम फैसला सरकार को ही लेना है।
मल्होत्रा ने केंद्रीय बैंकों की भूमिका को एक पुरानी नाविक कहावत से समझाया। उन्होंने कहा, “आप तूफान को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन जहाज को जरूर संभाल सकते हैं।” यही काम केंद्रीय बैंक कर रहे हैं। वे लगातार बदलती वैश्विक परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था को सही दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।