फंड मैनेजर स्टॉक मार्केट में निवेश करने में हिचक रहे हैं जबकि सेंसेक्स में फरवरी की गिरावट के बाद 2000 अंकों का सुधार आ चुका है।
उद्योगों के अनुमान के मुताबिक म्युचुअल फंड हाउसों में कुल 25,000 करोड़ निवेशित है। 30 अप्रैल तक के आंकड़े के मुताबिक इन फंड हाउसों के पास कुल राशि का 15 प्रतिशत तो नकदी है। इस राशि के कारकों को 30 विभिन्न ग्रोथ फंड में रखा जा सकता है।
इस लिस्ट में सुंदरम बीएनपी परिबा म्युचुअल फंड का स्थान सबसे ऊपर है। कंपनी के 4 ग्रोथ फंड में औसतन 20 प्रतिशत नकदी राशि है और इसके कैपेक्स अपॉर्चुनिटी फंड (जी) के तहत नकद की राशि का हिस्सा 29.99 प्रतिशत है। कंपनी के तीन दूसरे फंड जैसे ग्रोथ, सेलेक्ट मिडकैप (जी) और स्माइल (जी ) के अंतर्गत क्रमश: 17.7, 12.65 और 22.04 प्रतिशत नकद राशि है।
बिरला सनलाइफ एएमसी का औसत कैश कंपोनेंट 15 प्रतिशत है जबकि बिरला एडवांटेज (जी) फंड के तहत यह कंपोनेंट 17.67 प्रतिशत है। एसबीआई मैनेजमेंट और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के पास काफी बड़ी मात्रा में कैश कंपोनेंट है और अमूमन यह 14 प्रतिशत से अधिक है। इन कंपनियों के कैश कंपोनेंट की मात्रा विविधीकृत ईक्विटी ग्रोथ फंड में तो और ज्यादा है।
एसकेपी सिक्योरिटीज के एमडी नरेश पचीसिया ने कहा कि यह एक सीमा आधारित बाजार है और ये फंड कंपनियां प्रवेश और बाहर निकलने का लक्ष्य निर्धारित करके रखती है। इसके पीछे यह विचार काम करता है कि कम दामों में फंड खरीदो और जैसे ही इसका दाम उछले, इसे बेच डालो। यह काम बहुत सारे जोखिमों को ताक पर रख कर किया जाता है।
फंड मैनेजर केवल एक अच्छे अवसर की तलाश में रहता है। वे नकदी राशि की मात्रा को संतुलित करके रखते हैं ताकि इस सीमा आधारित बाजार में जब जरूरत पड़े निवेश कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि बिरला सन लाइफ एएमसी के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने तो हालिया लाभ की बुकिंग के लिए काफी बड़ी मात्रा में नकद राशि का इंतजाम कर रखा है। इस तरह के तरल बाजार में इस तरह का काम एक आम बात है।