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प्रतिफल बढ़ाने के लिए अन्य देशों पर भी फंडों की नजर

Last Updated- December 14, 2022 | 10:31 PM IST

म्युचुअल फंड (एमएफ) वैश्विक विविधता थीम पर जोर दे रहे हैं। पिछले कुछ सप्ताहों में कम से कम तीन फंड हाउसों ने ऐसी योजनाएं पेश की हैं जो वैश्विक इक्विटी में निवेश करती हैं।
इस महीने के शुरू में, एडलवाइस ऐसेट मैनेजमेंट ने एडलवाइस एमएससीआई इंडिया डोमेस्टिक ऐंड वल्र्ड हेल्थकेयर 45 इंडेक्स फंड पेश करने के लिए एमएससीआई इंक. के साथ भागीदारी की घोषणा की। थीमेटिक पैसिव इंडेक्स फंड का मकसद भारतीय निवेशकों को भारतीय और वैश्विक हेल्थकेयर कंपनियों, दोनों तक पहुंच मुहैया कराना है। एनएफओ 20 अक्टूबर को बंद हो रहा है।
फंड का करीब 70 प्रतिशत भारांक भारतीय हेल्थकेयर से जुड़ा हुआ है, जिसमें संपूर्ण बाजार पूंजीकरण पर आधारित प्रमुख 25 शेयर शामिल हैं। शेष 30 प्रतिशत भारांक अमेरिका में सूचीबद्घ 30 शेयरों के लिए होगा, जिनमें चार उप-उद्योगों – फार्मास्युटिकल्स, हेल्थकेयर इक्विपमेंट, बायोटेक्नोलॉजी और लाइफ साइंसेज टूल्स एवं सर्विसेज – से संपूर्ण बाजार पूंजीकरण पर आधारित 5 शेयर शामिल हैं। फंड के कुछ प्रमुख शेयरों में अपोलो हॉस्पिटल्स, सिप्ला, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, जुबिलैंट लाइफ साइंस, बायोकॉन और फाइजर शामिल हैं। एडलवाइस ऐसेट मैनेजमेंट की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी राधिका गुप्ता ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि यह फंड निवेशकों को भारत और दुनियाभर में स्वास्थ्य कंपनियों तक आसान, किफायती और मजबूत पहुंच मुहैया कराएगा। जीवनशैली से संबंधित बीमारियों में तेजी और उनके उपचार पर बढ़ते खर्च को देखते हुए, हेल्थकेयर सेक्टर अगले दशक के दौरान लगातार बढऩे का अनुमान है।’
प्रिंसीपल ऐसेट मैनेजमेंट ने खासकर लार्ज-कैप शेयरों में निवेश करने वाली ओपन-एंडेड इक्विटी योजना प्रिंसीपल लार्ज कैप फंड को बाजार में पेश किया है। यह फंड अपनी कुल राशि का 80-85 प्रतिशत हिस्सा बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष-100 भारतीय लार्जकैप शेयरों में निवेश करता है और 15 प्रतिशत पूंजी 50 अरब डॉलर से ज्यादा के बाजार पूंजीकरण वाले अमेरिकी शेयरों में लगाता है।
प्रिंसीपल ऐसेट मैनेजमेंट के मुख्य निवेश अधिकारी रजत जैन ने कहा, ‘हमारे शोध से संकेत मिलता है कि एसऐंडपी 500 (आईएनआर) सूचकांक के 15 प्रतिशत और निफ्टी-100 सूचकांक के 85 प्रतिशत ने कई पिछली अवधियों में भारतीय सूचकांकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है और इनमें उतार-चढ़ाव की आशंका कम दर्ज की गई है। अमेरिकी लार्जकैप कंपनियों के लिए निवेश आवंटन 4 से 6 क्षेत्रों से जुड़े 15 शेयरों के लिए शामिल होगा और इनमें वैश्विक ब्रांड फ्रेंचाइजी के साथ मजबूत वृद्घि वाले व्यवसाय शामिल होंगे।’ विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक रूप से विविधीकृत पोर्टफोलियो से निवेशकों को विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में बाजार चक्रों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी, वहीं इससे किसी एक देश के से जुड़े जोखिम को कम करने में भी सफलता मिलेगी। अमेरिकी इक्विटी बाजार स्थानीय अर्थव्यवस्था की मजबूती, पूंजी निवेश और वैश्विक विविधता की वजह से बाजार कारोबारियों के लिए पसंदीदा बने हुए हैं। ढांचागत तौर पर, अमेरिकी बाजार ऊंची वृद्घि वाले उद्योगों से जुड़ा हुआ है और 50 प्रतिशत से ज्यादा बाजार आय वैश्विक रूप से प्राप्त होती है।
प्रिंसीपल ग्लोबल इक्विटीज के सीआईओ मुस्तफा शगुन ने कहा, ‘विविधता सामान्य तौर पर अस्थिरता में कमी लाती है। स्वयं अपने देश में में निवेश करने से निवेशकों द्वारा बाहरी दुनिया में मौजूद निवेश अवसरों से वंचित रहने की आशंका रहती है। हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपेक्षाकृत वेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत की जीडीपी और बाजार पूंजीकरण वैश्विक जीडीपी/बाजार पूंजीकरण का महज 3 प्रतिशत है।’

First Published - October 17, 2020 | 12:31 AM IST

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