यदि कोई खास बात जो मार्च तिमाही के परिणामों में देखी जा रही है तो वह है ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन का गिरना।
जिन कंपनियों केमार्जिन में कमी देखी गई है उनमें तेल और गैस की बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज,एल्युमिनियम क्षेत्र की बड़ी कंपनी हिंडाल्को,कार कंपनी मारुति,उपभोक्ता वस्तुओं का निर्माण करने वाली कंपनी यूनीलीवर,इंजीनियरिंग विनिर्माण कंपनी सीमेंस,ज्वैलरी बनाने वाली कंपनी टाइटन,टेक्सटाइल कंपनी अरविंद मिल और रिटेलर शापर्स स्टॉप।
लेकिन सबसे ज्यादा परेशान करने वाले वे मामले हैं जहां मार्जिन पर दबाव धीमी टॉपलाइन ग्रोथ की वजह से बना है। इस माहौल में कंपनियों के लिए करने के लिए कुछ नहीं है क्योंकि कच्चे माल की बढ़ती कीमतों पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।
बिजनैस स्टैंडर्ड के 1292 कंपनियों का परिणाम दिखाता है कि वित्त्तीय वर्ष 2008 की तिमाही में ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन का औसत सपाट 18.33 फीसदी पर रहा जबकि वित्त्तीय वर्ष 2007 में यह 18.72 फीसदी रहा था। जबकि कंपनियों की कुल बिक्री में अवश्य बढ़ोत्तरी हुई है और इसका स्तर 25 फीसदी रहा।
मॉर्गन स्टैनली ने वित्तीय वर्ष 2008 की मार्च तिमाही के परिणामों का विश्लेषण किया और अगर हम इस अध्धयन से प्राप्त परिणामों पर गौर करे तो कुछ कंपनियों के स्टॉक से हम भौचक्के हो सकते हैं। यहां तक संपूर्ण नजरिए की दृष्टि से देखा जाए तो आय में आशा से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई। हालांकि 60 फीसदी स्टॉक की आय ब्रोकरेज की आशाओं के अनुरुप नहीं हुई और मार्जिन में 1.5 फीसदी की गिरावट आई। यह गिरावट ऊर्जा और पदार्थ केक्षेत्रों में तेज रही।
अध्ययन के मुताबिक मार्जिन में जोखिम की संभावना के चलते कंपनियों की ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन आगे भी मंदी का शिकार रहेगी। इससे यह भी अर्थ निकलता है कि कंपनियों की आगे आने वाले महीनों में आय कमजोर रहेगी। आईआईपी ग्रोथ के मार्च में तीन फीसदी के स्तर पर रहने के चलते अर्थव्यवस्था में मंदी को साफ तौर पर देखा जा सकता है।
इसके अतिरिक्त रुपये की कीमत के डॉलर के मुकाबले छ: फीसदी से भी ज्यादा गिरने और जिंस के मूल्य में हल्की फुल्की कमी के चलते महंगाई के बने रहने के आसार हैं। रिर्पोट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि जबकि बड़े बाजार के लिए आय का स्तर अपने सात सालों के न्यूनतम मूल्य पर है फिर भी संकरे बाजारों में आय के बढ़ने के पर्याप्त आसार हैं। इससे नैरो मार्केट का भविष्य बदल सकता है।
अपोलो टायर्स-कठिन डगर
घरेलू बाजार और विदेशों में कारोबार करने वाली अपनी अनुसंगी कंपनी डनलप एस ए दोनों के उत्पादों के दामों में बढ़ोत्तरी करने के बाद अपोलो टायर्स के संचित राजस्व में वित्तीय वर्ष मार्च की तिमाही में नौ फीसदी से भी ज्यादा रहकर 4,691 करोड़ रुपए पर रहा।
अपोलो रिप्लेसमेंट बाजार में अग्रणी कंपनी है और कंपनी ने इस बार ज्यादा वॉल्यूम में मिक्स उत्पादों की बिक्री की है। इसके अतिरिक्त इस बार कंपनी की वापसी भी बेहतर रही। कंपनी इस बार अपनी कीमतों को भी स्थिर रखने में सफल रही। इन सभी वजहों से कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 3.3 फीसदी बढ़कर 12.6 फीसदी के स्तर पर आ गया।
हालांकि संचित कुल लाभ 121 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई जिससे यह 268 करोड़ पर पहुंच गया लेकिन इससे कंपनी को इंट्रेस्ट लागत 19 फीसदी की गिरावट भी झेलनी पड़ी। मार्च 2008 की तिमाही में कंपनी का स्टैंड एलोन ग्रोथ सिर्फ 10 फीसदी ज्यादा रहा जो कि बाजार की आशाओं से कुछ कम है। यद्यपि ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 1.4 फीसदी बढ़कर 12.4 फीसदी पर रहा।
कंपनी की वित्तीय वर्ष 2009 में आय वित्त्तीय वर्ष 2008 में अर्जित 5.50 रुपये की अपेक्षा गिर सकती है। इसका सिर्फ एक कारण है वह है कच्चे माल की कीमतों का ऊंचा रहना,विशेषकर कंपनी जिन कच्चे माल का इस्तेमाल करती है जैसे रबर और क्रूज ऑयल। रबर के दाम इस समय 120 रुपये प्रति किलो पर चल रहे हैं जो वित्तीय वर्ष 2008 की तिमाही से 23 फीसदी ज्यादा है।
जिसका मतलब है मार्जिन में करीब एक फीसदी तक का दबाव आना। हालांकि बाजार में रिप्लेसमेंट की मांग केतेज बने रहने के आसार हैं और अपोलो के लिए यह शुभ संकेत है। अगले कुछ सालों में अपोलो के राजस्व में 10 से 11 फीसदी की बढ़त हो सकती है। इसके अतिरिक्त कंपनी का अगले कुछ सालों में अपनी क्षमता बढ़ाने का भी विचार है। इसके लिए कंपनी 1,000 करोड़ रुपयों का निवेश करेगी।
इससे कंपनी की क्षमता वित्तीय वर्ष 2010 तक बढ़कर 750 टन प्रति दिन से बढ़कर 1,000 टन प्रति दिन हो जाएगी। जबकि आटोमोबाइल उद्योग केबेहतर तरीकेसे ग्रोथ करने की वजह से कंपनी का भविष्य अच्छा बना हुआ है विशेषकर वाणिज्यिक वाहनों की श्रेणी में।
जबकि वास्तविक उपकरणों की मांग के वित्तीय वर्ष 2009 में आठ फीसदी की गति से बढ़ने के आसार हैं। मौजूदा बाजार मूल्य 44 रुपये के स्तर पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से सिर्फ नौ फीसदी कम स्तर पर हो रहा है।