कैलेंडर वर्ष 2023 के चार महीने वैश्विक बाजारों के लिए बेहद उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। नोमुरा सिक्योरिटीज में प्रबंध निदेशक (MD) एवं शोध प्रमुख सायन मुखर्जी ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि मौजूदा स्तरों पर बाजारों में बड़ी चिंता का असर नहीं दिखा है, जिससे घरेलू स्तर पर कमजोर वृद्धि या चक्रीयता आधारित मंदी की आशंका बरकरार है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
आपने पिछले साल दिसंबर में निफ्टी के लिए कैलेंडर वर्ष 2023 में 19,030 पर पहुंचने का लक्ष्य रखा था। क्या ऊंची ब्याज दरों, मुद्रास्फीति और संभावित मंदी को देखते हुए अब यह हासिल होता दिख रहा है?
वृहद आर्थिक परिदृश्य अनिश्चित बना हुआ है। हम अब दर वृद्धि चक्र के चरम के काफी नजदीक हैं। हालांकि यदि मुद्रास्फीति की चाल अनिश्चित बनी रही तो नीतिगत परिवेश प्रभावित हो सकता है। लंबे समय तक ऊंची दरों से खासकर विकसित बाजारों में तेज मंदी को बढ़ावा मिल सकता है।
इन बड़ी अनिश्चितताओं का बाजारों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि भारत इस मंदी के चक्र के बीच ज्यादा मजबूत बना रह सकता है।
भारतीय बाजारों के संदर्भ में क्या आप तेजी में बिकवाली या गिरावट पर खरीदारी की रणनीति अपना रहे हैं?
निफ्टी में अक्टूबर 2021 से गिरावट आई है। मूल्यांकन ज्यादा आकर्षक हो गया है। हम ‘बाय-द-डिप’ यानी गिरावट पर खरीदारी करने की रणनीति अपना रहे हैं।
वैश्विक तौर पर बड़ी उथल-पुथल होने पर भारतीय बाजार और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा। जोखिमपूर्ण परिवेश के मामले में पूंजीगत प्रवाह में मंदी से भारत पर विपरीत असर पड़ेगा। वैश्विक अनिश्चितताओं से भी निवेश चक्र प्रभावित होगा।
हालांकि वित्तीय अनुशासन, कॉरपोरेट बैलेंस शीट पर कर्ज घटाने, मजबूत बैंक बैलेंस शीट, निवेश-केंद्रित वृद्धि के लिए नीतिगत पहलों जैसे कारकों पर ध्यान देने, भारत को ज्यादा सक्षम बनाने में मदद मिल सकती है। हम वित्त, इन्फ्रास्ट्रक्चर/निर्माण, और कंज्यूयमर स्टैपल्स क्षेत्रों पर सकारात्मक हैं।
भारतीय उद्योग जगत द्वारा अब तक जारी किए गए जनवरी-मार्च तिमाही नतीजों पर आपका क्या नजरिया है?
आईटी क्षेत्र ने कमजोर प्रदर्शन कर चकित किया है और हम इस क्षेत्र पर अंडरवेट बने हुए हैं। यह मुख्य तौर पर वृद्धि को लेकर अनिश्चिततता की वजह से है। आईटी क्षेत्र के लिए आय अनुमानों और मूल्यांकन मल्टिपल, दोनों के लिए जोखिम हैं। हालांकि घरेलू क्षेत्र की आय काफी हद तक स्थिर रही है।
हम बैंकों के मार्जिन में तेजी देख रहे हैं और परिसंपत्ति गुणवत्ता मजबूत बनी हुई है। मूल्य निर्धारण क्षमता में सुधार से जुड़ी उपभोक्ता कंपनियों को ऊंचे मार्जिन से मदद मिली है। कच्चे माल की कीमत में गिरावट से आय वृद्धि में कुछ मदद मिलेगी। हालांकि बिक्री वृद्धि में मंदी के संकेत दिखे हैं।
कैलेंडर वर्ष 2023 में भारतीय इक्विटी बाजारों पर FII का नजरिया क्या है? भारत के मुकाबले कौन से अन्य क्षेत्र बेहतर नजर आ रहे है?
हमारा मानना है कि FII मध्यावधि नजरिये से भारत पर अनिश्चित बने हुए हैं। भारत का ऊंचा मूल्यांकन मुख्य समस्या रही है, जो अब उचित दिख रहा है, क्योंकि बाजार पिछले 18 महीनों तक सपाट बना रहा।
हमारा मानना है कि FII भारतीय बाजारों पर ज्यादा आश्वस्त हो सकते हैं। मूल्यांकन में सुधार को देखते हुए हम अभी भी क्षेत्रीय संदर्भ में चीन और दक्षिण कोरिया पर ओवरवेट बने हुए हैं।
पिछले 6 महीनों में आपकी निवेश रणनीति कैसी रही है? कौन से क्षेत्र और शेयर आपने खरीदे और बेचे?
हमने बॉटम-अप नजरिया अपनाया और उन क्षेत्रों तथा शेयरों को पसंद किया जिनमें मूल्यांकन उचित हो। हम उन क्षेत्रों और शेयरों पर अंडरवेट हैं जिनका मूल्यांकन महंगा हो गया है। हम वित्त, उद्योग/इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ओवरवेट और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी तथा आईटी सेवाओं पर अंडरवेट हैं।
क्या आप मानते हैं कि बाजार ‘इलेक्शन मोड’ में अनिश्चित बने रहेंगे और राजनीतिक मोर्चे पर हो रहे घटनाक्रम पर ध्यान बनाए रहेंगे?
जरूरी नहीं है कि राज्य चुनावों का परिणाम राष्ट्रीय चुनावों का परिणाम तय कर सके। पिछले समय में हमने देखा कि राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के लिए मतदान में काफी अंतर था। जैसे ही हम चुनावी अवधि में प्रवेश करेंगे, बाजारों में अगले साल कुछ अनिश्चितता देखने को मिल सकेगी।
क्या आप मानते हैं कि RBI इस साल अनुमान से कमजोर मॉनसून (यदि ऐसा हुआ) पर प्रतिक्रिया दिखाएगा? बाजारों पर इन चिंताओं का कितना असर पड़ेगा?
हमारे अर्थशास्त्रियों की टीम RBI द्वारा अल्पावधि में दर वृद्धि पर विराम लगाने की उम्मीद कर रही है और वर्ष के अंत में दर कटौती की भी उम्मीद बनी हुई है। अनुमान से कमजोर मॉनसून के साथ साथ वैश्विक कारकों, वृद्धि से संबंधित मौजूदा अनिश्चितताओं ने इस साल के आखिर में केंद्रीय बैंक द्वारा नजरिया बदले की संभावना बढ़ा दी है। बाजार मुद्रास्फीति या ब्याज दरों को लेकर अपेक्षाकृत कम चिंतित हैं। जिस बड़ी चिंता का बाजारों पर अभी तक पूरी तरह असर नहीं पड़ा है, वह है कमजोर वृद्धि या चक्रीयता आधारित बड़ी गिरावट।