बाजार नियामक सेबी ने कारोबार की पुष्टि से जुड़ी समयसीमा में छूट दे दी ताकि टी प्लस वन की नई निपटान व्यवस्था की ओर आसानी से आगे बढ़ना सुनिश्चित हो सके। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा, हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अभी भी नाखुश हैं और ज्यादा राहत चाहते हैं। इस हफ्ते एनएसई ने अधिसूचित किया है कि कस्टोडियन के लिए कारोबार की पुष्टि की समयसीमा कारोबार के दिन के शाम 7.30 बजे से संशोधित कर अगले दिन सुबह 7.30 बजे कर दी गई है।
एफपीआई हालांकि कटऑफ समय कम से कम सुबह 9.30 बजे का चाहते हैं ताकि उन्हें विदेशी मुद्रा की बुकिंग और फंड की व्यवस्था में हड़बड़ी न करनी पड़े। एक सूत्र ने कहा, आखिरकार सेबी ने एक समाधान पेश किया, जो मध्यम मार्ग वाला है। अगर कटऑफ में और बढ़ोतरी की जाती है तो इसका एक्सचेंजों व क्लियरिंग कॉरपोरेशन पर असर पड़ेगा। हालांकि एफपीआई कुछ अतिरिक्त घंटे और चाहते हैं। यह देखना बाकी है कि सेबी और छूट देता है या नहीं।
एफपीआई पहले की समयसीमा पर चिंता जता चुके हैं। उनका कहना है कि यह उनके कारोबार की लागत बढ़ा देगा क्योंकि इसके लिए उन्हें विदेशी मुद्रा की बुकिंग व फंडों का इंतजाम पहले से करना होगा।
पहले के कटऑफ को लेकर अहम चिंता गैर-बाजार के घंटों में विदेशी मुद्रा की बुकिंग को लेकर थी। मुद्रा बाजार सुबह 9 बजे खुलता है जबकि कटऑफ सुबह 7.30 बजे तय किया गया है। स्टॉक एक्सचेंज व सेबी के सूत्रों ने कहा कि नई व्यवस्था की ओर बढ़ने की पूरी प्रक्रिया की अच्छी तरह से निगरानी की जाएगी, उशके बाद ही आगे की छूट के बारे में फैसला लिया जाएगा।
फरवरी के बाद से बाजार कीमत के लिहाज से सबसे नीचे पायदान वाले 500 शेयरों को अल्पावधि वाले टी प्लस वन सेटलमेंट साइकल में भेज दिया गया। एफपीआई अग्रणी 200 शेयरों में ज्यादातर निवेश करते हैं और वहां टी प्लस वन की व्यवस्था जनवरी 2023 से होगी। हालांकि काफी शेयर ऐसे हैं जहां एफपीआई की शेयरधारिता सितंबर व अक्टूबर से टी प्लस वन में चली जाएगी और उसी समय वास्तविक असर का पता चल पाएगा।
टी प्लस वन सेटलमेंट की ओर बढ़ने वाला भारत पहला अहम देश है। दुनिया के सबसे बड़े बाजार अमेरिका ने इस पर चर्चा पत्र जारी किया है। सिक्योरिटीज इंडस्ट्री ऐंड फाइनैंशियल मार्केट्स एसोसिएशन ने अमेरिका में टी प्लस वन निपटान व्यवस्था लागू करने के लिए 2024 तक का समय मांगा है।