facebookmetapixel
SBI ने ऑटो स्वीप की सीमा बढ़ाकर ₹50,000 कर दी है: ग्राहकों के लिए इसका क्या मतलब है?India’s Retail Inflation: अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07% पर, खाने-पीने की कीमतों में तेजी से बढ़ा दबावBank vs Fintech: कहां मिलेगा सस्ता और आसान क्विक लोन? समझें पूरा नफा-नुकसानचीनी कर्मचारियों की वापसी के बावजूद भारत में Foxconn के कामकाज पर नहीं होगा बड़ा असरGST कट के बाद दौड़ेगा ये लॉजि​स्टिक स्टॉक! मोतीलाल ओसवाल ने 29% अपसाइड के लिए दी BUY की सलाह₹30,000 करोड़ का बड़ा ऑर्डर! Realty Stock पर निवेशक टूट पड़े, 4.5% उछला शेयरG-7 पर ट्रंप बना रहे दबाव, रूसी तेल खरीद को लेकर भारत-चीन पर लगाए ज्यादा टैरिफ10 मिनट डिलीवरी में क्या Amazon दे पाएगी Blinkit, Swiggy को टक्कर? जानें ब्रोकरेज की रायसी पी राधाकृष्णन ने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के तौर पर ली शपथSBI, Canara Bank समेत इन 5 स्टॉक्स में दिखा ब्रेकआउट! 24% तक मिल सकता है रिटर्न

सहमा-सहमा सा हर आदमी है…

Last Updated- December 05, 2022 | 4:29 PM IST

दो दिनों की छुट्टी के बावजूद पिछले सोमवार को जब शेयर बाजार खुला था तो इस कदर दहशत के साथ कि बंद होते-होते यह अब तक कि दूसरी बड़ी गिरावट के साथ औंधे मुंह गिर पड़ा।

ठीक वैसे ही हालात इस सोमवार यानी आज भी हैं। दहशत का सबब है, अंकल सैम यानी अमेरिका पर हर रोज मंदी के मजबूत होते पंजे और उधार संकट से हिचकोले खाती दुनिया की इस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की काली छाया, जो भारतीय बाजार पर कम होने की बजाय दिनों-दिन गहराती जा रही है।


पिछले शुक्रवार को अमेरिकी डाऊ जोन्स का औद्योगिक औसत दो माह में पहली बार 12 हजार के स्तर से नीचे आया तो स्टैंडर्ड एंड पूअर 500 इंडेक्स भी 2006 के बाद के सबसे निचले स्तर पर चारों खाने चित हो गया।


 इसको देखते हुए आशंका है कि एशियाई बाजारों समेत भारत के बाजार में सोमवार को कारोबार की शुरुआत बहुत कमजोर होगी। हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने शुक्रवार को ही एक योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत उधारदाताओं को ज्यादा नकदी मुहैया कराई जाएगी, लेकिन यह घोषणा भी लुढ़कते शेयरों को थामने में नाकामयाब रही।


भारत ही नहीं, दुनियाभर के बाजारों के लिए अमेरिका रोज नई दहशत पेश करता जा रहा है। शुक्रवार को ही अमेरिका में नौकरियों से संबंधित आंकड़ों को पेश किया गया, जिसमें 2003 से लगातार नौकरियों में कटौती के बदतर होते हालात का जिक्र था।


दुनिया की इस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जन्म ले चुके इन हालात का चर्चा दुनियाभर के बाजारों में होने लगा है और अनुमान है कि यह खबर इन सभी की सेहत के लिए भी बुरी साबित होने जा रही है।


यही नहीं, अमेरिका में पांच साल में पहली बार घरेलू आय सबसे निचले स्तर पर आने के साथ-साथ लुढ़कते शेयरों ने संपत्ति की कीमत भी गिरा दी है। एशियाई बाजार भी अमेरिकी मंदी की काली छाया की गिरफ्त में आते जा रहे हैं।


जापान का निक्केई शुक्रवार को 3.27 फीसदी गिरकर 12,782 पर पहुंच गया तो हांगकांग का हेंगसेंग 3.60 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,501 पर जा पहुंचा। इसी तरह सिंगापुर का स्ट्रेट टाइम्स 1.77 प्रतिशत नीचे आकर 2,866 अंकों पर बंद हुआ।


एसबीआई कैपिटल मार्केट्स के रिसर्च प्रमुख अनिल आडवानी भी सोमवार को लेकर सहमे-सहमे शेयर बाजार की बात से सहमत हैं। वह कहते हैं- हमें आशंका है कि बाजार नकारात्मक रुझान के साथ खुलेगा क्योंकि सब प्राइम संकट की काली छाया और विकराल होती जा रही है।


 बाजार में नकदी का वितरण कुछ तंग है लिहाजा निवेशकों पर स्थिर स्थिति से विचलन का दबाव रहेगा। सबसे बड़ी बात, शुक्रवार को ही आए महंगाई दर के आंकड़े की है, जिसमें यह पांच फीसदी से ज्यादा पर है।


इसका भी नकारात्मक असर बाजार पर पड़ना ही है। जब तक कि अग्रिम टैक्स कलेक्शन पूरा नहीं हो जाता, बाजार पर यूं ही काली छाया मंडराती रहेगी।

First Published - March 9, 2008 | 10:07 AM IST

संबंधित पोस्ट