बाजार नियामक सेबी ने निवेश सलाहकारों और शोध विश्लेषकों (आरए) को नियंत्रित करने वाले नियमों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किए हैं। सेबी ने उनके लिए न्यूनतम योग्यता, अनुभव, समय-समय पर पास की जाने वाली अनिवार्य परीक्षा और नेटवर्थ संबंधी जरूरतों में ढील दी है। सितंबर की बोर्ड बैठक में पहली बार स्वीकृत निर्णयों को अब अधिसूचित कर दिया गया है, जिससे दोनों नियमों में संशोधनलागू हो गए हैं।
इन बदलावों से अनुपालन संबंधित जरूरतें घटेंगी जिससे ज्यादा से ज्यादा कंपनियां नियामकीय दायरे में आ सकेंगी। नए नियमों में अंशकालिक निवेश सलाहकारों और शोध विश्लेषकों के पंजीकरण की भी अनुमति दी गई है। इसके अलावा, ट्रेडिंग कॉल को ’निवेश सलाह’ की परिभाषा से बाहर रखा गया है।
ये बदलाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में पंजीकृत निवेश सलाहकारों (आरआईए) की संख्या घटकर 1000 से भी कम रह गई है। नए नियमों के तहत पंजीकृत न होने वाले फाइनेंशियल इंफ्लूएंशरों की ओर से निवेश सलाह देने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
न्यूनतम योग्यता को घटाकर स्नातक कर दिया गया है जबकि पूर्व अनुभव की आवश्यकता समाप्त कर दी गई है। पंजीकरण के लिए शुरू में एनआईएसएम से आधार प्रमाणपत्र की आवश्यकता होगी, लेकिन बाद में बेस एग्जामिनेशन दोहराने की आवश्यकता खत्म कर दी गई है। नए नियमों के तहत सर्टिफिकेशन जरूरत के अनुपालन में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा सर्टिफिकेट की वैधता समाप्त होने से पहले बोर्ड द्वारा समय-समय पर निर्धारित नया एनआईएसएम सर्टिफिकेट हासिल करना होगा। नेटवर्थ जरूरत को भी कम जमाओं के साथ बदला गया है।
इसके अलावा ऐसे निवेश सलाहकारों को गैर-व्यक्तिगत निवेश सलाहकार के रूप में सैद्धांतिक पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा जिनके ग्राहकों की संख्या 300 से अधिक है या उनका शुल्क संग्रह एक वित्त वर्ष में 3 करोड़ रुपये से अधिक है। अभी तक यह सीमा 150 ग्राहकों तक सीमित थी। अंशकालिक सलाहकारों के लिए 75 ग्राहकों की सीमा निर्धारित की गई है। आरआईए और आरए को ग्राहकों को यह भी बताना होगा कि क्या वे एआई टूल्स का उपयोग कर रहे हैं।