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टी+1 समय-सीमा बढ़ाने की मांग

Last Updated- December 11, 2022 | 11:57 PM IST

विनियमित फंडों के एक वैश्विक संगठन ने टी+1 क्रियान्वयन की समय-सीमा 18 महीने तक बढ़ाने के अनुरोध के साथ भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से संपर्क किया है।
आईसीआई ग्लोबल ने सेबी चेयरमैन अजय त्यागी को कुछ दिन पहले लिखे अपने पत्र में कहा कि नई व्यवस्था के तहत महज चार महीने की क्रियान्वयन अवधि से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई), उनके सेवा प्रदाताओं, और ब्रोकर डीलरों को जरूरी परिचालन एवं अनुपालन संबंधित बदलाव लाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलेगा।
आईसीआई ग्लोबल विनियमित फंडों के लिए वैश्विक संगठन इन्वेस्टमेंट कंपनी इंस्टीट्यूट (आईसीआई) के अंतरराष्ट्रीय कार्य का प्रबंधन करता है। इस संगठन के सदस्य 42 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करते हैं।
संगठन का मानना है कि शेयरों के आधार पर वैकल्पिक टी+1 निपटान से अनावश्यक परिचालन जटिलता पैदा होगी और साथ ही निपटान प्रणाली का जोखिम पैदा होगा। इस मॉडल के तहत, समान शेयर को एक एक्सचेंज पर टी+1 निपटान चक्र और दूसरे पर टी+2 पर लाया जा सकेगा।
एफपीआई और उनके सेवा प्रदाताओं द्वारा मौजूदा समय में इस्तेमाल व्यवस्थाओं में समान बाजार में अलग अलग निपटान चक्रों के लिए कोडिंग क्षमता नहीं है। इससे यह पता लगाने के लिए परिचालन संबंधी चुनौती सामने आएगी कि कौन से शेयर टी+1 और कौन से टी+2 पर निपटाए जा रहे हैं। आईसीआई ग्लोबल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘भारत में कारोबार को प्रक्रियाओं के दौरान पारंपरिक हस्तक्षेप की जरूरत होगी, जिससे प्रक्रियाओं में विलंब होगा और त्रुटियां तथा परिचालन जोखिम की आशंका बढ़ेगी, खासकर ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले कारोबारी दिनों के दौरान।’
टाइम जोन में अंतर की वजह से, स्वीकृति की दबावपूर्ण समय-सीमा से ज्यादा सौदों के विफल होने का खतरा बढ़ सकता है। मौजूदा टी+2 निपटान चक्र के तहत, एफपीआई को कारोबार निपटान निर्देश अपनी जरूरत पूरी करने के लिए स्थानीय कस्टोडियन को टी+1 पर भेजने होंगे। संक्षिप्त निपटान चक्र में, एफपीआई से कारोबार निपटान निर्देशों को भारतीय समय पर स्थानीय कस्टोडियन को भेजने की जरूरत होगी, जिससे कि स्थानीय कस्टोउियन को भारतीय समय पर व्यावसायिक दिन की समाप्ति तक कारोबार की पुष्टि करने में मदद मिल सके।
आईसीआई ग्लोबल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘मौजूदा समय में, एफपीआई अलग अलग समय क्षेत्रों की वजह से नई समय-सीमा पर पूरी तरह अमल में सक्षम नहीं हैं। टी+1 निपटान को अनुकूल बनाने के लिए एफपीआई और उनके सेवा प्रदाताओं को निपटान और फंडिंग प्रक्रियाओं को पूरी तरह बदलने की जरूरत होगी।’
मौजूदा निपटान चक्र के तहत, ब्रोकर द्वारा इक्विटी सौदा क्रियान्वित किए जाने के बाद एफपीआई संबद्घ फंड के लिए एफएक्स लेनदेन करते हैं। स्थानीय कस्टोडियन को मौजूदा सेवा स्तर समझौतों के तहत इस तरह के एफएक्स (फॉरेक्स) सौदे बुक करने के लिए कारोबार की पुष्टि की जरूरत हाती है।

First Published - October 26, 2021 | 11:07 PM IST

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