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क्राम्प्टन ग्रीव्स: धीमी रोशनी

Last Updated- December 08, 2022 | 10:43 AM IST

यूरोप और अमेरिका के बाजारों में आई मंदी का इंजीनियरिंग फर्म क्रांप्टन ग्रीव्स पर बुरा असर पड़ा है।


वर्ष 2007-08 में कंपनी के कुल राजस्व में अंतर्राष्ट्रीय कारोबार का योगदान 43 फीसदी था जो सितंबर 2008 तक जारी वर्ष की पहली छमाही में 50 फीसदी बढ़ गया।

दूसरी छमाही में इसकी रफ्तार पर थोड़ा ब्रेक लग सकता है। हालांकि कंपनी प्रबंधन का कहना है कि उसके बिजली का एक भी ऑर्डर कैंसल नहीं किया गया है।

सितंबर 2008 तक कंपनी की ऑर्डर बुक 6,780 करोड़ रुपये की थी जो तुलनात्मक रूप से काफी अच्छी थी। लेकिन कंपनी की पावर सब्सिडियरी पावेल्स और गैंज की हालत पतली है जो मुख्य रूप से यूरोप और अमेरिका में बिकवाली करती है। बीएनपी परिबास की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी इस समय कठिन हालात से जूझ रही है।

कुछ माह पहले उसने इसकी कल्पना भी नहीं की होगी। यूटीलिटीज के साथ ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन (टीएंडडी) उपकरण क्रांप्टन की प्रमुख विशेषता है। वह इसमें अपना पूंजी व्यय कम कर सकती है। भविष्य में उसे मिलने वाली ऑर्डरों की संख्या भी कम हो सकती है।

फ्रांस की प्रमुख टीएंडडी कंपनी श्नाइडर ने तो पहले ही 2008 में अपनी वृध्दि के लक्ष्य 2.5 फीसदी घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया है। मांग में आई कमी इस लक्ष्य संशोधन का प्रमुख कारण है। पॉवेल का डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफार्मर मार्केट में अच्छा खासा दखल है जहां वह सीधे कंस्ट्रक्शन से जुड़ी है।

क्रांप्टन प्रबंधन ने हाल ही में एक वेबसाइट को बताया है कि उसका घरेलू कारोबार जारी वर्ष में कम हुआ है। हालांकि इसके साथ ही वर्ष 2008-09 की पहली छमाही में उसका कंसोलिडेट राजस्व आधार 33 फीसदी बढ़ा है।

कंपनी के राजस्व में 28 फीसदी का योगदान देने वाले वाले घरेल उपभोक्ता और औद्योगिक कारोबार दोनों में वृध्दि की दर डगमगा रही है।

औद्योगिक कारोबार कंपनी के पूंजी व्यय को कम करने के निर्णय के कारण प्रभावित हो रहा है। कंपनी ने यह निर्णय क्रेडिट के संकट से जूझ रहे वित्तीय बाजार से संसाधन न जुटा पाने के कारण लिया है। जबकि उपभोक्ता क्षेत्र में आई गिरावट का प्रमुख कारण रियल एस्टेट में आई मंदी है।

कंपनी का शुध्द मुनाफा सितंबर 2008 तक साल की पहली छमाही में 34 फीसदी बढ़ा था जबकि 2007-08 में कंपनी का शुध्द मुनाफा 45 फीसदी की दर से बढ़कर 407 करोड़ रुपये हो गया था। ऊंचे स्तर पर कंपनी के लिए इस साल यह प्रदर्शन दोहराना खासा मुश्किल होगा।

First Published - December 22, 2008 | 8:55 PM IST

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