भारत का इक्विटी बाजार दो साल की मजबूत दो अंकों की बढ़त के बाद कमजोर पड़ा है। सितंबर 2025 को समाप्त 12 महीनों में बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 4.8 प्रतिशत टूटा, जो एक दशक से अधिक समय में इसका सबसे खराब वार्षिक प्रदर्शन है। इसके विपरीत, सितंबर 2024 में यह 28.1 प्रतिशत और उससे पिछले वर्ष 14.6 प्रतिशत बढ़ा था। इस तरह सितंबर को समाप्त पिछले छह वर्षों में से तीन बार सेंसेक्स ने
नकारात्मक रिटर्न दिया है।
हालिया गिरावट से हालांकि 2024 के रिकॉर्ड हाई इक्विटी वैल्यूएशन नीचे आया है। कई ब्लूचिप शेयर अब अधिक आकर्षक स्तरों पर उपलब्ध हैं, जिससे लंबी अवधि के निवेशकों को अवसर मिल रहे हैं। हालांकि, ब्रॉडर मार्केट का वैल्यूएशन अब भी लंबे समय के औसत से ऊपर है, इसलिए सलेक्टिव निवेश बेहद जरूरी है।
ऐसे में पर्सनल-केयर एफएमसीजी कंपनी कोलगेट-पामोलिव इंडिया अपनी ओर ध्यान खींच रहा है। इसके शेयर का दाम पिछले एक साल में 41.7 प्रतिशत टूटा है। फिर भी, हालिया तिमाहियों में स्थिर आय और 83.7 प्रतिशत की रिटर्न ऑन नेटवर्थ (RoNW) के साथ यह शेयर अपेक्षाकृत कम वैल्यूएशन पर उपलब्ध है। यह संतुलन निवेशकों को कमजोर बाजार में सुरक्षा और धारणा सुधरने पर संभावित बढ़त दोनों
देता है।
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