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इंडिया डीहोल्डिंग्स में घटाई सिटीग्रुप ने हिस्सेदारी

Last Updated- December 07, 2022 | 2:04 AM IST

सिटी ग्रुप की प्राइवेट इक्विटी के कारोबार में लगी फर्म सिटीग्रुप वेंचर कैपिटल इंटरनेशनल (सीवीसीआई)ने हाल ही में इंडिया डीहोल्डिंग्स (सीवीसीआई की मॉरिशस में रजिस्टर्ड इंटरमीडियरी वेहिकल)में अपनी कुछ हिस्सेदारी बैरिंग एशिया को बेच दी है।


बैरिंग एशिया ने अप्रत्यक्ष रूप से शेयरखान में हिस्सेदारी ले रखी है। सिटी ग्रुप वेंचर कैपिटल ने भी पिछले साल शेयरखान में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी थी। जानकार सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी फेडेरल रेगुलेशन (जो अमेरिका के बाहर सिटी के बैंकिंग और फाइनेंशियल कारोबार के निवेश पर नजर रखता है)के मुताबिक सीवीसीआई अपनी इस इंटरमीडियरी फर्म में 50 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी नहीं ले सकती।

और अगर यह हिस्सेदारी इस सीमा से बढ़ती है तो अमेरिकी फेड इसकी जांच कर सकता है,जो काफी कडी हो सकती है और  इसी से बचने के लिए सीवीसीआई को इंडिया डीहोल्डिंग्स में अपनी हिस्सेदारी घटानी की जरूरत पड़ी है।

सूत्रों के मुताबिक बैरिंग एशिया के पास अब शेयरखान में 12 फीसदी हिस्सेदारी है जो उसने पिछले साल के 825 करोड़ की तुलना में दोगुने वैल्यूएशंस (1700 करोड़) में खरीदे हैं। सीवीसीआई की यह पहली डील है जहां उसने मेजारिटी हिस्सेदारी खरीदी है।

एक और डील में सीवीसीआई ने आईडीएफसी के साथ मिलकर 620 करोड़ में शेयरखान में 76 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। इसमें प्रमोटरों की 32 फीसदी हिस्सेदारी और प्राइवेट इक्विटी फंडों से खरीदा गया 48 फीसदी हिस्सा शामिल है। प्राइवेट इक्विटी फंड टीपीजी, बैरिंग एशिया और थ्री आई भी शेयरखान में हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में थे।

मुंबई की ब्रोकिंग फर्म शेयरखान इसी कारोबारी साल में अपना आईपीओ भी लाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक आईपीओ के लिए मर्चेन्ट बैंकर से इस बारे में बातचीत हो चुकी है और इसके लिए उन्हे केवल 10 फीसदी हिस्सेदारी डाइल्यूट करनी होगी।

First Published - May 28, 2008 | 11:16 PM IST

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