facebookmetapixel
FTA में डेयरी, MSMEs के हितों का लगातार ध्यान रखता रहा है भारतः पीयूष गोयलसरकार ने ‘QuantumAI’ नाम की फर्जी निवेश स्कीम पर दी चेतावनी, हर महीने ₹3.5 लाख तक की कमाई का वादा झूठाStocks To Buy: खरीद लो ये 2 Jewellery Stock! ब्रोकरेज का दावा, मिल सकता है 45% तक मुनाफाEPF नियमों पर दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: विदेशी कर्मचारियों को भी देना होगा योगदानSectoral ETFs: हाई रिटर्न का मौका, लेकिन टाइमिंग और जोखिम की समझ जरूरीED-IBBI ने घर खरीदारों और बैंकों को राहत देने के लिए नए नियम लागू किएकमजोर बिक्री के बावजूद महंगे हुए मकान, तीसरी तिमाही में 7 से 19 फीसदी बढ़ी मकान की कीमतमुंबई में बिग बी की बड़ी डील – दो फ्लैट्स बिके करोड़ों में, खरीदार कौन हैं?PM Kisan 21st Installment: किसानों के खातें में ₹2,000 की अगली किस्त कब आएगी? चेक करें नया अपडेटनतीजों के बाद दिग्गज Telecom Stock पर ब्रोकरेज बुलिश, कहा- खरीदकर रख लें, ₹2,259 तक जाएगा भाव

टैक्स नियमों में बदलाव से 2024 में शेयर बायबैक पर पड़ा असर

केंद्र सरकार ने शेयरधारकों पर लाभांश की तरह ही शेयर बायबैक पर भी कर लगा दिया। इस कदम ने कंपनियों की पुनर्खरीद पेशकशों पर असर डाला।

Last Updated- January 13, 2025 | 9:56 PM IST
Changes in tax rules impact share buyback in 2024 टैक्स नियमों में बदलाव से 2024 में शेयर बायबैक पर पड़ा असर

वर्ष 2023 में 6 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बाद पिछले साल कंपनियों ने पुनर्खरीद पेशकश पर कम रकम खर्च की। सरकार ने कर बोझ कंपनियों से निवेशकों पर डाल दिया। इस कारण इस खर्च में कमी आई। वर्ष 2024 में 48 कंपनियों ने 13,423 करोड़ रुपये के शेयर पुन: खरीदे। यह रकम 2023 में इतनी ही संख्या वाली कंपनियों की शेयर पुनर्खरीद राशि से कम है। तब उनकी राशि 48,079 करोड़ रुपये रही थी।

केंद्र सरकार ने शेयरधारकों पर लाभांश की तरह ही शेयर बायबैक पर भी कर लगा दिया। इस कदम ने कंपनियों की पुनर्खरीद पेशकशों पर असर डाला। मजबूत इक्विटी बाजारों ने भी अपने शेयर बायबैक में सौंपने के लिए निवेशकों को निरुत्साहित किया। इससे भी शेयर पुनर्खरीद में गिरावट आई।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के पूर्व प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘पुनर्खरीद के जो लाभ पहले मिलते थे, वे अब नहीं मिलते हैं। लाभांश अब अधिक अनुकूल हैं क्योंकि पुनर्खरीद के विपरीत इस प्रक्रिया में मर्चेंट बैंकरों को शामिल करने की जरूरत नहीं है। साथ ही कंपनियां भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी ) के अनुपालन के अधीन नहीं हैं। लाभांश जल्दी से वितरित किया जा सकता है, जबकि पुनर्खरीद को पूरा होने में कई सप्ताह लगते हैं। इसके अलावा, ऐसे बाजार में जहां शेयर कीमतें बढ़ी हैं, निवेशकों को शेयर सौंपने से बहुत कम फायदा मिलता है जब तक कि कंपनियां बाजार मूल्य से बहुत अधिक प्रीमियम की पेशकश न करें।’

बायबैक कराधान में बदलाव (जो प्राप्तकर्ता शेयरधारकों पर कर का बोझ बढ़ाता है) 1 अक्टूबर 2024 से प्रभावी है। नए नियम लागू होने के बाद से अब तक केवल एक बायबैक ऑफर पूरा हुआ है – मैट्रिमोनी डॉटकॉम का 72 करोड़ रुपये का । नवंबर और दिसंबर में कोई बायबैक नहीं हुआ। मई 2018 के बाद नवंबर ऐसा पहला महीना था जब किसी शेयर की पुनर्खरीद का ऑफर नहीं आया।

अक्टूबर से पहले तक पुनर्खरीद लाने वाली कंपनियों पर 20 फीसदी से ज्यादा कर लगता था। इस दौरान जिन शेयरधारकों ने अपने शेयर सौंपे, उन पर किसी तरह का कर नहीं लगेगा। लाभांश पर ऊंचे कर बोझ को देखते हुए कई नकदी वाली कंपनियों (खासकर आईटी क्षेत्र में) ने प्रवर्तकों की कर देनदारी घटाने के विकल्प के तौर पर पुनर्खरीद पर जोर दिया। 2023 में पुनर्खरीद वैल्यू में वृद्धि काफी हद तक कई बड़े आकार के निर्गमों की वजह से देखी गई जिनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का 17,000 करोड़ रुपये का पुनर्खरीद ऑफर भी शामिल था।

बायबैक एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिये कोई कंपनी शेयरधारकों से अपने शेयर फिरसे खरीदती है। पुन: खरीदे गए शेयरों को रद्द कर दिया जाता है जिससे कंपनी का इ​क्विटी आधार कम हो जाता है। 2024 के कुछ बड़े पुनर्खरीद ऑफरों में बजाज ऑटो (4,000 करोड़ रुपये), इंडस टावर्स (2,640 करोड़ रुपये), अरविंदो फार्मा (750 करोड़ रुपये), चंबल फर्टिलाइजर्स ऐंड केमिकल्स (700 करोड़ रुपये) और जाइडस लाइफसाइंसेज (600 करोड़ रुपये) शामिल रहे।

First Published - January 13, 2025 | 9:56 PM IST

संबंधित पोस्ट