facebookmetapixel
सरकारी सहयोग मिले, तो एरिक्सन भारत में ज्यादा निवेश को तैयार : एंड्रेस विसेंटबाजार गिरे या बढ़े – कैसे SIP देती है आपको फायदा, समझें रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का गणितजुलाई की छंटनी के बाद टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 6 लाख से कम हुईEditorial: ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ में छाया स्वदेशी 4जी स्टैक, डिजिटल क्रांति बनी केंद्रबिंदुबैलेंस शीट से आगे: अब बैंकों के लिए ग्राहक सेवा बनी असली कसौटीपूंजीगत व्यय में इजाफे की असल तस्वीर, आंकड़ों की पड़ताल से सामने आई नई हकीकतकफ सिरप: लापरवाही की जानलेवा खुराक का क्या है सच?माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहली बार बदला संचालन और अनुपालन का ढांचादेशभर में कफ सिरप कंपनियों का ऑडिट शुरू, बच्चों की मौत के बाद CDSCO ने सभी राज्यों से सूची मांगीLG Electronics India IPO: निवेशकों ने जमकर लुटाया प्यार, मिली 4.4 लाख करोड़ रुपये की बोलियां

₹12 लाख करोड़ की सप्लाई, ₹10.8 लाख करोड़ की मांग; ब्रोकरेज ने लंबी अवधि के बॉन्ड्स को लेकर दी वॉर्निंग

Axis Mutual Fund ने निवेशकों को चेताया – अब लंबी अवधि के बॉन्ड्स में पहले जैसा फायदा नहीं, डिमांड-सप्लाई में बड़ा अंतर

Last Updated- August 06, 2025 | 8:21 AM IST
FPIs started withdrawing from domestic debt market, challenging start for Indian bond market देसी ऋण बाजार से हाथ खींचने लगे FPI, भारतीय बॉन्ड बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण शुरुआत

लगभग 15 महीने से चल रही लंबी अवधि के बॉन्ड्स (10 साल या उससे अधिक) की जबरदस्त रैली अब खत्म होने की कगार पर है। Axis Mutual Fund ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि जब तक अर्थव्यवस्था में बड़ा मंदी का संकेत नहीं मिलता या इन बॉन्ड्स को किसी नए ग्लोबल इंडेक्स में शामिल नहीं किया जाता, तब तक रिटर्न में भारी गिरावट देखी जा सकती है।

Axis म्यूचुअल फंड के फिक्स्ड इनकम प्रमुख देवांग शाह के अनुसार, अब लंबी अवधि के बॉन्ड्स को लेकर सबसे बड़ी चिंता यह नहीं है कि इनकी यील्ड या स्प्रेड क्या है, बल्कि असली चुनौती है डिमांड और सप्लाई के बीच बढ़ता अंतर। उन्होंने कहा कि अब यह असंतुलन बाजार की बुनियादी स्थिति और मौजूदा हालात दोनों में साफ नजर आने लगा है।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में 10 साल या उससे अधिक अवधि के बॉन्ड्स की मांग लगभग ₹10.8 लाख करोड़ रहेगी। इसके मुकाबले केंद्र सरकार और राज्यों की ओर से लगभग ₹12 लाख करोड़ के बॉन्ड्स जारी किए जाएंगे, जिनकी अवधि 15 से 50 साल तक की होगी। इससे बाजार में सप्लाई अधिक और मांग कम होने की स्थिति बनेगी, जो कीमतों और रिटर्न दोनों पर दबाव डाल सकती है।

नीतिगत बदलावों से मांग पर और असर

बॉन्ड्स की मांग पर कई और कारणों से भी असर पड़ सकता है। जैसे कि बैंकों के लिए हेल्ड-टू-मैच्योरिटी (HTM) नियमों में बदलाव, नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में इक्विटी का अनुपात बढ़ाया जाना, और Fully Accessible Route (FAR) के तहत 14 साल से ज्यादा अवधि वाले बॉन्ड्स में विदेशी निवेश की सीमाएं। ये सभी बदलाव संस्थागत निवेशकों की भागीदारी को सीमित कर सकते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, अब RBI जल्दी-जल्दी ब्याज दरें कम करने के पक्ष में नहीं है और सरकार के पास खर्च करने की पहले जैसी छूट भी नहीं बची है। इसलिए वो वजहें, जो अब तक बॉन्ड बाजार को मजबूत बना रही थीं, अब उतनी असरदार नहीं रहीं।

6.75% से नीचे नहीं गिरती लंबी अवधि की यील्ड

देवांग शाह ने कहा कि पुराने ट्रेंड को देखकर लगता है कि अब लंबे समय वाले बॉन्ड्स की कमाई (यील्ड) में ज्यादा गिरावट नहीं आएगी। खासकर 30 साल वाले बॉन्ड्स की यील्ड अब तक कभी 6.75% से नीचे नहीं गई है, इसलिए अब और गिरने की उम्मीद कम है।

निवेशकों के लिए क्या है रणनीति?

Axis Mutual Fund का कहना है कि अब निवेशकों को लंबे समय वाले बॉन्ड्स की जगह कम अवधि (2 से 5 साल) के बॉन्ड्स में पैसा लगाना चाहिए। ऐसे बॉन्ड्स में कम जोखिम के साथ अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना है। मौजूदा हालात में इस तरह का निवेश ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।

First Published - August 6, 2025 | 8:13 AM IST

संबंधित पोस्ट