facebookmetapixel
डिलिवरी बाजार में पकड़ बना रही उबर कूरियर, त्योहारी सीजन में जबरदस्त उछालसुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: जांच एजेंसियां मनमाने ढंग से वकीलों को तलब नहीं कर सकतींBihar: विधान सभा में छोटे दलों ने पूछे अधिक सवालBihar Elections: सत्ताधारी गठबंधन ने जारी किया घोषणा पत्र, 1 करोड़ नौकरियां देने का वादारुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की भविष्य की दिशामुक्त व्यापार समझौतों के क्रियान्वयन की तैयारीEditorial: भारतीय सेवा क्षेत्र का विरोधाभासMaharashtra: व्यापार में सुधार के लिए जिला कलेक्टरों को मिली अतिरिक्त शक्तियांअगले साल 30 जून तक किसान कर्ज माफी पर फैसला लेगी महाराष्ट्र सरकारअक्टूबर में हुई बारिश से पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान की फसल और आलू की बुआई नष्ट

शेयर बाजारों में एक महीने में सबसे बड़ी गिरावट

Desi Equity Market: विश्लेषकों ने कहा कि निवेशक अमेरिकी उपभोक्ता आय और बेरोजगारी के दावे वाले शुरुआती आंकड़े जारी होने से पहले घबराहट में हैं।

Last Updated- February 28, 2024 | 11:34 PM IST
Stocks to buy

देसी इक्विटी बाजार में करीब एक महीने में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली क्योंकि निवेशकों ने अमेरिका में जारी होने वाले प्रमुख आर्थिक आंकड़ों से पहले मुनाफावसूली की। निफ्टी-50 इंडेक्स ने 247 अंकों की गिरावट के साथ 21,951 पर कारोबार की समाप्ति की, वहीं सेंसेक्स 790 अंकों की गिरावट के साथ 72,305 पर टिका, जो 30 जनवरी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। मिडकैप व स्मॉलकैप में करीब 2-2 फीसदी की नरमी आई।

बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 6 लाख करोड़ रुपये घटकर 386 लाख करोड़ रुपये रह गया, इस तरह से यह गिरावट 12 फरवरी के बाद सबसे बड़ी गिरावट रही।

विश्लेषकों ने कहा कि निवेशक अमेरिकी उपभोक्ता आय और बेरोजगारी के दावे वाले शुरुआती आंकड़े जारी होने से पहले घबराहट में हैं। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि वे अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय केंद्रीय बैंक की तरफ से ब्याज कटौती की संभावना पर असमंजस में हैं। निवेशकों को चिंता है कि मजबूत आर्थिक गतिविधियों से महंगाई ज्यादा हो सकती है और ब्याज कटौती की रफ्तार घटा सकती है।

दिसंबर तिमाही के देसी जीडीपी के आंकड़े गुरुवार को आने हैं। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में थोड़ी नरमी दिख सकती है, जिसकी वजह औद्योगिक वृद्धि, कृषि उत्पादन और उपभोग में कमी है।

मजबूत आर्थिक परिदृश्य, सतत देसी निवेश और कंपनियों के बेहतर नतीजों से पिछले साल तेजी आई थी और इसमें यह आशावाद भी काम कर रहा था कि फेड दरों में कटौती करेगा। साथ ही आम चुनाव के बाद भारत में मौजूदा सत्ता बनी रह सकती है।

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि वैश्विक निवेशक प्रमुख अमेरिकी आंकड़ों मसलन निजी उपभोग खर्च आदि का इंतजार कर रहे हैं और इस बात का भी डर है कि फेड की ब्याज कटौती में देर हो सकती है। चीन के प्रॉपर्टी सेक्टर में परेशानी ने एशियाई बाजारों के रुख पर असर डाला है।

भारतीय बाजारों पर मुनाफावसूली का असर रहा। दरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में दबाव आया और उनने व्यापक बाजार के कमजोर प्रदर्शन में योगदान किया। बुधवार को FPI ने करीब 1,900 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। देसी बाजार में लगातार दूसरे महीने FPI की ​निकासी का रिकॉर्ड बन सकता है। इस साल अब तक FPI ने देसी इक्विटी से 3 अरब डॉलर से ज्यादा निकाले हैं। बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात नकारात्मक रहा और बीएसई पर सिर्फ 844 शेयर चढ़े जबकि 3,002 में गिरावट आई।

First Published - February 28, 2024 | 11:28 PM IST

संबंधित पोस्ट