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बिना जोखिम बेहतर रिटर्न

Last Updated- December 07, 2022 | 2:01 PM IST

जब शेयर बाजार संकट में हो और ब्याज दरें लगातार बढ़ती जाएं तो निवेशकों का डेट स्कीमों की ओर रुख करना लाजिमी है।


लेकिन यहां कुछ निवेशकों का यह भी मानना है कि बाजार अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है और यह फिर ऊंचाइयों को छूना शुरु कर सकता है, इसलिए वे बाजार में आई किसी भी प्रकार की बढ़त से लाभ कमाने में पीछे नहीं रहना चाहते हैं।

उन्हें इस बात का भरोसा है कि मार्केट फिर यू-टर्न ले सकता है। इस दुविधा की स्थिति में एसेट मैनेजमेंट कंपनियां इक्विटी आधारित फिक्सड मेच्योरिटी प्लान लेकर आई हैं जो इक्विटी आधारित डिबेंचर में निवेश करेंगी। ये स्कीमें न तो पूरी तरह से डेट स्कीमें हैं और नहीं इक्विटी स्कीम, लेकिन इनमें दोनों के फायदे शामिल हैं। इन क्लोज इंडेड स्कीमों का एक अतिरिक्त फायदा इनमें निवेश पर मिलने वाली कर छूट है।

दूसरी डिबेंचर स्कीमों की तरह इनमें एक निश्चित ब्याज दर नहीं है। इन डिबेंचरों की ब्याज दरें फंड में शामिल शेयर के प्रदर्शन पर निर्भर करेंगी। इन शेयरों का चुनाव फंड मैनेजरों को ही करना है या ये इंडेक्स आधारित भी हो सकते हैं। अगर डिबेंचर सेसेंक्स आधारित है और सेसेंक्स में छह महीनों के दौरान 10 फीसदी की बढ़त होती है तो इश्यूयर डिबेंचर धारक को संबंधित शेयर के असेट के 100 फीसदी कीमत का भुगतान करेगा यानी निवेशक को संबंधित समय में 10 फीसदी का रिटर्न मिलेगा।

लेकिन इन स्कीमों की यह भी खासियत है कि इनकी बढ़ने की क्षमता भी सीमित है। अगर बाजार इस समय 13,000 अंक है और सेसेंक्स का नॉक आउट स्तर 18,000 अंक तय किया जाता है और इस दौरान नॉक आउट कूपन दर 30 फीसदी तय की जाती है तो निवेशक को सेंसेक्स के 18,000 अंकों से ऊपर पहुंचने पर भी उस दौरान 30 फीसदी की दर से ही रिटर्न मिलेगा। लेकिन अगर शेयर बाजार अपने 13,000 अंकों के स्तर से भी नीचे गिर जाता है तो निवेशक को उसके द्वारा निवेश की गई पूंजी बिना किसी अतिरिक्त रिटर्न के वापस मिल जाएगी।

अगर आप निवेशक हैं और किसी इक्विटी आधारित फिक्सड मेच्योरिटी प्लान में 100 रुपए का निवेश करते हैं और शेयर बाजार में उस समय केदौरान गिरावट देखी जाती है तो मेच्योरिटी पूरी होने पर निवेशक को उसके 100 रुपये वापस हो जाएंगे। क्रिसिल फंड रिसर्च के प्रमुख कृष्णन सीतारामन का कहना है कि जब शेयर बाजार में गिरावट होती है तो असेट मैनेजमेंट कंपनियां ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इस तरह की स्कीमों पर जोर देती हैं लेकिन आप इन इक्विटी आधारित फिक्सड मेच्योरिटी प्लान से अप्रत्याशित रिटर्न की आशा नहीं कर सकते हैं।

दिल्ली स्थित इन्वेस्टमेंट एजेंसी रेगुलर इनवेस्टमार्ट के प्रमुख अभिजीत मित्तल का कहना है कि ये स्कीमें उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं जो जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और अपनी पूंजी को कुछ समय के लिए ब्लॉक करना चाहते हैं। यद्यपि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने फरवरी 2008 में अपनी इक्विटी आधारित स्कीम लांच की थी लेकिन अब कई एसेट मैनेजमेंट कंपनियां ऐसे इक्विटी आधारित फिक्सड मेच्योरिटी प्लान लेकर आ रही हैं।

हालांकि ये स्कीमें पहले भी सिटी फाइनेंशियल, बाकर्लेज , जेपी मॉर्गन, डायचे और मेरिल लिंच के पास थीं लेकिन पहली बार भारत में इस तरह की स्कीमों के प्रति भारतीय फंड हाउसों में उत्सुकता देखी जा रही है। बिरला सनलाइफ म्युचुअल फंड ने भी हाल में ही ऐसी स्कीम लांच की है।

First Published - July 29, 2008 | 10:38 PM IST

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