जब शेयर बाजार ने एक जुलाई को 12,961.68 अंकों के आंकड़ों को छुआ तो देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनके परिवार की संपत्ति में एक दिन में ही 5,000 करोड़ से भी ज्यादा की कमी आई।
तीन कंपनियों रिलायंस इंड्रस्टीज,रिलायंस इंड्रस्टीयल इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पेट्रोलियम में उनकी हिस्सेदारी का मूल्य 2,14,683.29 रु से घटकर 2,09,500.36 करोड़ पर आ गया। लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ बड़े कारपोरेट को ही अपनी संपत्ति में नुकसान झेलना पड़ा हो।बाजार के लगातार नईं ऊंचाइयों को छूते समय छोटे निवेशकों ने बाजार में प्रवेश किया था।
फैशन डिजाइनर मकरंद कुलकर्णी का पोर्टफोलियो भी छ: लाख से घटकर 4.8 लाख के करीब आ गया। जनवरी जब शेयर बाजार अपनी ऊंचाइयों पर था तो उनका पोर्टफोलियो 20 लाख के करीब पहुंच गया था। 31 वर्षीय कुलकर्णी ने पिछले साल ही सीधे शेयर बाजार में निवेश करना शुरु किया था लेकिन छ: माह के भीतर ही वे 15 लाख के पोर्टफोलियो के साथ कारोबार कर रहे थे।
कुलकर्णी ने कहा कि शेयर कारोबार से कमाई करना मेरी आय का दूसरा जरिया था। उनके प्रिय शेयर का कारोबार इस समय 337.95 रु पर हो रहा है जबकि शेयर बाजार के ऊंचाइयों को छूते समय इस शेयर की कीमत 1,432 रुपए थी। जैसे ही शेयर बाजार ने अपनी जनवरी की ऊंचाई से नीचे की ओर फिसलना शुरु किया वैसे ही कुलकर्णी के ब्रोकर ने उनके कारोबारी खाते को बंद कर दिया क्योंकि उस ब्रोकर ने मार्जिन फंडिंग का इस्तेमाल करके उनके खाते को शुरु करने के लिए पांच लाख का कर्ज लिया था।
कुलकर्णी की ही तरह तमाम छोटे निवेशकों की यही समस्या है। ग्राहकों से होने वाले इस तरह के डिफॉल्ट और गिरते बाजार से ब्रोकिंग का कारोबार भी प्रभावित हुआ है जबकि जनवरी तक यह अपनी ऊंचाइयों पर था। ब्रोकरेज कंपनियों ने ऊंचे वेतन पर कर्मचारी नियुक्त किए थे,बेहतर जगहों पर ऑफिस खोले थे लेकिन शेयर बाजार में छाई मंदी ने इन ब्रोकरेज कंपनियों के सपनों को चकनाचूर कर दिया।
छोटी ब्रोकरेज कंपनियों को सर्वाधिक नुकसान हुआ और उनमें से ज्यादातर अपने कारोबार को बेचने की जुगत में हैं। दिल्ली स्थित केएलजी कैपिटल सविर्सेज को 0.4 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और वह अब अपने कारोबार को बेचने की तैयारी कर रही है।