कैलेंडर वर्ष 2023 की अस्थिर शुरुआत के बाद बाजार एक बार फिर से अपने पैर मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं। निवेश शोध एवं परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी सैनफोर्ड सी बर्न्सटीन में सिंगापुर स्थित प्रबंध निदेशक एवं वरिष्ठ विश्लेषक वेणुगोपाल गैरे ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि इस तिमाही में निफ्टी 18,000-18,500 का स्तर छू सकता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
पिछले 6 महीनों के दौरान उभरते बाजारों के मुकाबले भारत के प्रदर्शन में कमजोरी इस तिमाही में सीमित हुई। ईएम की सेहत भारत की तुलना में ज्यादा बेहतर नहीं है, और महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत द्वारा कई ईएम की तुलना में अभी भी वित्त वर्ष 2024 में अच्छी वृद्धि दर्ज किए जाने की संभावना है।
जहां मध्यावधि में चीन और थाईलैंड ज्यादा वृद्धि दर्ज कर सकते हैं, वहीं वर्ष के अंत में इसकी ज्यादा संभावना है। एशिया से अलग कई उभरते बाजारों को वृद्धि और मुद्रास्फीति की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
हम 12 महीने के नजरिये से भारतीय इक्विटी पर तटस्थ हैं, क्योंकि हमें सपाट सूचकांक का अनुमान है। हालांकि कमजोर वृहद आर्थिक आंकड़ों, ऊंचे मूल्यांकन और बढ़ती दरों को ध्यान में रखते हुए, हम शुरू में इस कैलेंडर वर्ष के पहले तीन महीनों में अंडरवेट का अनुमान जता रहे थे।
दरें चरम पर पहुंच चुकी हैं, वृहद हालात स्पष्ट हो चुके हैं, आय मजबूत है और मूल्यांकन चरम स्तर से नीचे आया है, जिसे देखते हुए हम भारतीय इक्विटी में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं और इस तिमाही में निफ्टी 18-18,500 का स्तर छू सकता है।
इक्विटी प्रतिफल इस साल कमजोर होगा, और शायद सावधि जमा दरों से भी कम- यदि आप सिर्फ 12 महीनों तक निवेश बनाए रखें। हमें 12 महीनों में ज्यादा उतार-चढ़ाव का अनुमान है, इसलिए बेहतर प्रतिफल के लिए समय समय पर बदलाव और आकलन जरूरी होगा।
हालांकि यह ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है, क्योंकि सीमित दिशात्मक समर्थन मिलेगा। इस कैलेंडर वर्ष के अंत और अगले साल के शुरू के आसपास हम बाजार में बड़ा बदलाव देख सकते हैं। तब तक, वृहद हालात में सुधार शुरू हो जाएगा, वैश्विक जोखिम भी दूर हो जाएगा, और ब्याज दरों को लेकर स्थिति ज्यादा स्पष्ट हो जाएगी।
हम दुनियाभर में मौजूद वित्तीय संकट से अलग हैं, क्योंकि वैश्विक चुनौतियां उपभोक्ता-केंद्रित नहीं हैं, और नीति-निर्माता जोखिम दूर करने के लिए सक्रियता से काम कर रहे हैं। हम एक अलग परिवेश देख रहे हैं जिसमें वैश्विक आर्थिक नरमी और गिरावट की अवधि लंबी रहेगी। लगातार आपूर्ति संबंधित गतिविधियों और अन्य भू-राजनीतिक कारकों की वजह से अल्पावधि में कच्चे तेल की कीमतों समेत जिंसों में बदलाव आ सकता है।
Also Read: Axis Direct में आई टेक्निकल प्रॉब्लम, ट्रेडर्स ने नुकसान की शिकायत की
FII फ्लो में कुछ बदलाव की संभावना है। कुछ फ्लो हमारी तेजी का हिस्सा होगा। हमें निफ्टी को 18,500 से ऊपर ले जाने के लिए पर्याप्त पूंजी प्रवाह नजर नहीं आ रहा है। हालात भारत और वैश्विक तौर पर आर्थिक सुधार की रफ्तार पर निर्भर करेंगे।
जिंस कीमतें न सिर्फ मांग संबंधित गतिविधियों पर बल्कि भू-राजनीतिक और आपूर्ति आधारित घटनाक्रम पर भी आधारित होती हैं। इसलिए इस नजरिये से हम भविष्य में लगातार उतार-चढ़ाव बरकरार रहने की आशंका देख रहे हैं। हालांकि कमजोर वैश्विक मांग परिदृश्य में जिंसों में तेजी की आशंका कम है।