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ऐक्सिस बैंक-दिखा भरोसा

Last Updated- December 07, 2022 | 11:05 AM IST

ऐक्सिस बैंक के तिमाही परिणामों में जो परेशान करने वाली बात रही वह बैंक के नेट इंट्रेस्ट मार्जिन का 0.6 फीसदी गिरकर 3.35 फीसदी के स्तर पर आ जाना।


इसके अतिरिक्त बैंक के बैड लोन में भी 0.47 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई जबकि मार्च 2008 की तिमाही में बैंक के बैड लोन का स्तर 0.36 फीसदी था। मार्च 2008 के बैंक के परिणामों में नेट इंट्रेस्ट मार्जिन में हल्के से सुधार केसाथ 3.9 फीसदी पर देखा गया था। जो कि दिसंबर केआंकड़ों से कुछ ज्यादा था।

लेकिन मौजूदा चुनौतीपूर्ण माहौल में कंपनी के नेट इंट्रेस्ट मार्जिन पर दबाव पड़ा और इसमें गिरावट देखी जा रही है। जून की तिमाही में ऐक्सिस बैंक की फंडों की लागत 6.11 फीसदी रही जो मार्च की तिमाही की लागत 5.82 फीसदी से ज्यादा है। बैंक के नेट इंट्रेस्ट मार्जिन के गिरने की अन्य वजह बैंक के लो कॉस्ट डिपॉजिट में आई गिरावट है। बैंक के लो कॉस्ट डिपॉजिट 46 फीसदी से गिरकर 40 फीसदी के स्तर पर आ गया है। बैंक के लिए नेट इंट्रेस्ट मार्जिन को इन दबावों के बीच बचाना मुश्किल होता जा रहा है।

इसके बावजूद बैंक के कुछ आंकड़ें मार्च तिमाही की अपेक्षा ज्यादा संतोषजनक रहे। बैंक के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 118 फीसदी का सुधार देखा गया और यह बढ़कर 802 करोड़ रुपए हो गया। हालांकि बैंक के स्टॉक की कीमत में गिरावट आई और यह छ: फीसदी गिरकर 636 रु पर बंद हुआ। शेयर बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में छाई मंदी का असर अगली कुछ तिमाहियों से दिखना शुरु होगा और इससे बैंक की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है।

हालांकि बैंक के प्रबंधकों का मानना है कि इस साल बैंक 48 फीसदी क्रेडिट ग्रोथ पाने में कामयाब हो जाएगा। जिसमें से 73 फीसदी हिस्सेदारी छोटे एवं मझोले उद्यमों को जारी लोन की होगी। हालांकि यहां एक यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि अर्थव्यवस्था में मंदी के दौर में छोटी कंपनियों के लिए अपना परिचालन करना मुश्किल हो जाएगा।

लेकिन बैंक का प्रबंधतंत्र मानता है कि बैंक अपनी क्रेडिट ग्रोथ को बरकरार रखने में सफल हो जाएगा। बैंक का टायर टू शहरों में कैपिटल एडीक्वेसी रेशियो काफी कम होकर 9.93 फीसदी के स्तर पर है जो कि मार्च 2008 में 13 फीसदी की तुलना में काफी कम है। मौजूदा बाजार मूल्य 636 रु पर कंपनी के शेयर का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में बुक वैल्यू के 2.4 गुना के स्तर पर हो रहा है।

एफएमसीजी-धीमी चाल

जून 2008 की तिमाही में उपभोक्ता आधारित वस्तुओं का निर्माण करने वाली कंपनियों की बिक्री और वॉल्यूम दोनों में कमी देखी गई। उद्योगों के विश्लेषकों का कहना है कि इसमें धीरे धीरे कमी आती जाएगी। इसके अतिरिक्त कई कंपनियों को बढ़ती लागत की वजह से उत्पादों की कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस हालात में कंपनी की टॉपलाइन ग्रोथ 14 से 15 फीसदी के करीब रहनी चाहिए।

उदाहरणस्वरुप कोलगेट ने प्रति पैक के दामों में तीन से चार फीसदी की वृध्दि कर दी है जबकि डॉबर ने अपने तेल, च्यवनप्राश में चार फीसदी और शैंपू के दामो में सात फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। हालांकि इतनी बढ़ोतरी से कंपनियों को अपने ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन को बनाए रखना मुश्किल होगा। आगे भी इनके ऑपरेटिंग प्रॉफिट में धीरे धीरे गिरावट देखी जा सकेगी। हिंदुस्तान लीवर द्वारा भी उत्पादों के पैक को छोटा करकेउनकी कीमतों में वृध्दि कर सकती है।

कंपनी अपने साबुन,टूथपेस्थ और डिटरजेंट के दामों में छ:से 12 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है। जिससे कंपनी केराजस्व में 16 से 17 फीसदी की वृध्दि होने की संभावना है हालांकि इसके बावजूद कंपनी के मार्जिन के सपाट स्तर पर रहने की संभावना है। 13,947 करोड़ की आईटीसी के राजस्व में भी 10 से 12 फीसदी की कमी आ सकती है और जिसकी वजह है कि कंपनी के नॉन फिल्टर्ड सिगरेट की बिक्री में कमी आई है जिसकी कंपनी के राजस्व में 10 फीसदी की हिस्सेदारी है।

कंपनी को ऑपरेटिंग मार्जिन में भी उच्चतम स्तर से कुछ गिरावट का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कंपनी को एफएमसीजी से लगातार नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि खाद्य पदार्थो की कंपनी के लिए मार्च की तिमाही बेहतर रही थी और इस तिमाही में कंपनी की सेल्स ग्रोथ 20 फीसदी के करीब रहनी चाहिए क्योंकि कंपनी का नूडल्स और चॉकलेट का धंधा बढ़िया चल रहा है। कंपनी दूध से लेकर डेयरी उत्पाद,कॉफी और न्यूट्रीशन उत्पादों का निर्माण करती है।

दूध और अनाज की कीमतों के बढ़ने का प्रभाव कंपनी के ऑपरेटिंग मार्जिन पर पड़ना चाहिए। 2,361 करोड़ की डाबर की सेल्स ग्रोथ के दहाई अंकों में रहने की संभावना है जबकि कंपनी का मार्जिन सपाट स्तर पर रहना चाहिए। 1,473 करोड़ केकोलगेट की टॉपलाइन ग्रोथ 14 फीसदी के करीब रहनी चाहिए लेकिन कंपनी के ऑपरेटिंग मार्जिन पर असर अवश्य पड़ सकता है। लागत में 20 फीसदी के करीब इजाफा होने के बाद 1,906 करोड़ की मैरिको की ऑपरेटिंग मार्जिन सपाट रहनी चाहिए।

हालांकि एफएमसीजी कंपनियों का शेयर बाजार में मूल्यांकन सस्ता नहीं है और इन शेयरों का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 16 से 27 गुना के स्तर पर हो रहा है। हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड के शेयरों का कारोबार 27 गुना केस्तर पर जबकि नेस्ले का कारोबार 26 गुना के स्तर पर हो रहा है। 168 रु पर आईटीसी का कारोबार वित्तीय वष्र 2009 में अनुमानित आय से 18 गुना से भी कम के स्तर पर हो रहा है। मैरिको के शेयरों का कारोबार 16.6 गुना के स्तर पर जबकि डॉबर का कारोबार 20 गुना के स्तर पर हो रहा है।

First Published - July 15, 2008 | 10:41 PM IST

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