निवेश के लिए लोगों के पसंदीदा आर्बिट्रेज फंडों ने साल 2024 में एक दशक का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। इस योजना से पिछले साल औसतन 8 फीसदी रिटर्न मिला जो साल 2016 के बाद का सबसे बढ़िया आंकड़ा है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
फंड मैनेजरों के मुताबिक आर्बिट्रेज फंडों के रिटर्न को इक्विटी बाजार के सकारात्मक मनोबल, स्टॉक फ्यूचर्स में ओपन इंटरेस्ट में बढ़ोतरी और ऊंची ब्याज दरों आदि से सहारा मिला। एडलवाइस म्युचुअल फंड के उप-प्रमुख (फैक्टर इन्वेस्टिंग) भवेश जैन ने कहा कि शेयर बाजार में तेजी के मनोबल से आर्बिट्रेज फंडों को बेहतर रिटर्न देने में मदद मिली क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग फायदे वाली पोजीशन लेना चाहते थे, लिहाजा मासिक रोलओवर के दौरान ज्यादा प्रीमियम देने के लिए तैयार थे।
उन्होंने कहा, स्टॉक फ्यूचर्स में ओपन इंटरेस्ट यानी खड़े सौदे सर्वकालिक उच्चस्तर पर थे और 4 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गए। साथ ही साल के दौरान ब्याज दर स्थिर और अपेक्षाकृत ऊंची रहीं। उन्होंने साल की दूसरी छमाही में उतारचढ़ाव में बढ़ोतरी और उम्मीद से बेहतर लाभांश मिलने की भी बात बताई।
आर्बिट्रेज फंड हाजिर और वायदा बाजारों के बीच कीमतों के अंतर का फायदा उठाते हैं। वे नकदी बाजार में शेयर खरीदते हैं और साथ-साथ वे फ्यूचर मार्केट यानी वायदा बाजार में इनको बेच देते हैं। ऐसे में इक्विटी में उनके सारे निवेश की हेजिंग हो जाती है। इस रणनीति के कारण आर्बिट्रेज फंड कम जोखिम वाले विकल्प बनते हैं। हाइब्रिड श्रेणी के लिए मजबूत प्रदर्शन अहम था क्योंकि डेट फंडों के लिए भी साल 2024 सबसे अच्छे वर्षों में से भी एक रहा और लंबी अवधि वाली कई योजनाओं ने दो अंकों में रिटर्न दिया। हालांकि कर लाभ को देखते हुए आर्बिट्रेज फंडों ने उच्च आय वाले निवेशकों को कर पश्चात बेहतर रिटर्न
दिया होगा। निवेश हासिल करने के मामले में आर्बिट्रेज फंडों की प्रतिस्पर्धा डेट म्युचुअल फंड की योजनाओं और फिक्स्ड इनकम वाले निवेश विकल्प के साथ होती है। हालांकि इनमें कर का व्यवहार अलग है। आर्बिट्रेज फंड इक्विटी कराधान के पात्र होते हैं। ऐसे में निवेश का एक साल पूरा होने पर मिलने वाले फायदे पर 12.5 फीसदी कर लगता है। इसकी तुलना में फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट पर निवेशकों के आयकर स्लैब के हिसाब से कर लगता है जो अधिकतम 30 फीसदी हो सकता है।
आर्बिट्रेज फंडों और डेट फंडों के बीच कर का अंतर दो साल पहले तक इतना ज्यादा नहीं था। डेट फंडों के लिए मौजूदा कर ढांचा अप्रैल 2023 से प्रभावी है जब सरकार ने डेट फंडों से इंडेक्सेशन लाभ वापस ले लिया था। साल 2023 में कराधान में बदलाव से आर्बिट्रेज फंडों की ओर झुकाव बढ़ा। यहां प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां तब से करीब तिगुनी होकर 2 लाख करोड़ रुपये हो गई है और निवेशकों ने 21 महीने में शुद्ध रूप से 1.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
एप्सिलॉन मनी में सहायक उपाध्यक्ष (निवेश) सिद्धार्थ आलोक के अनुसार चूंकि आर्बिट्रेज फंड इक्विटी कराधान के साथ डेट फंडों की तरह रिटर्न की पेशकश करते हैं। ऐसे में यहां निवेशकों का लाभ और बढ़ जाता है। इससे निवेश में काफी बढ़ोतरी हुई है। निवेशकों को यह समझना चाहिए कि रिटर्न में थोड़ा उतार-चढ़ाव हो सकता है।