चूंकि बाजार भारतीय उद्योग जगत द्वारा दूसरी तिमाही के लिए परिचालन एवं वित्तीय परिणामों की घोषणाओं को लेकर सतर्क बने हुए हैं, लेकिन कई विश्लेषकों को तिमाही आधार पर कर-बाद लाभ (पीएटी) में अच्छी वद्घि की संभावना दिख रही है। चूंकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही सख्त देशव्यापी लॉकडाउन से प्रभावित रही, इसलिए वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही के आंकड़े तिमाही आधार पर बेहतर दिखेंगे, क्योंकि जुलाई-सितंबर के बीच आर्थिक गतिविधि धीरे धीरे सामान्य हो हुई है और व्यवसाय लॉकडाउन के दबाव से उबर रहे हैं। हालांकि सालाना आधार पर प्रदर्शन सुस्त बना रहेगा।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सह-प्रमुख संजीव प्रसाद द्वारा सुनीता बल्दवा और अनिंद्य भौमिक के साथ मिलकर तैयार की गई 5 अक्टूबर की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘तिमाही आधार पर, हमें बीएसई-30 और निफ्टी-50 सूचकांक का मुनाफा 32 प्रतिशत और 52 प्रतिशत बढऩे की संभावना है। वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में लॉकडाउन में नरमी की वजह से आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होने से मुनाफे में भी सुधार दिखने का अनुमान है।
वहीं सालाना आधार पर, हमें बीएसई-30 सूचकांक का शुद्घ लाभ 1.3 प्रतिशत घटने और निफ्टी-50 सूचकांक के लाभ में 0.6 प्रतिशत की वृद्घि की संभावना है। हमें बीएसई-30 सूचकांक की ईपीएस वित्त वर्ष 2021 के लिए 1,555 रुपये और वित्त वर्ष 2022 के लिए 2,028 रुपये तथा निफ्टी-50 सूचकांक के लिए ईपीएस 453 रुपये और 606 रुपये रहने की संभावना है।’
अपने कवरेज में शामिल (जिसे उन्होंने कोटक इंस्टीट्यूानल इक्टिीज-केआईई करार दिया है) कंपनियों के लिए उन्हें शुद्घ लाभ में वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 16 प्रतिशत का इजाफा होने का अनुमान है। बैंकों (कम फंसे कर्ज), आईटी सेवाओं (सभी बड़े वर्टिकलों से अच्छी मांग), धातु एवं खनन और फार्मा (अमेरिकी राजस्व में सुधार) से शुद्घ लाभ में इस तेजी की संभावना है। तिमाही आधार पर उन्होंने केआईई के शुद्घ लाभ में 69 प्रतिशत की शानदार वृद्घि का अनुमान जताया है।
एफएमसीजी, फार्मा, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और कुछ हद तक दूरसंचार को छोड़कर इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम को शेष क्षेत्रों के लिए पीएटी सालाना आधार पर 8-10 प्रतिशत घटने का अनुमान है। चोकालिंगम ने कहा, ‘एयरलाइनों, होटलों और सिनेमाघर कंपनियों को वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में भी दबाव का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उनका परिचालन प्रभावित बना हुआ है। तिमाही आधार पर, वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के न्यून आधार को देखते हुए पीएटी में करीब 5-10 प्रतिशत की तेजी आ सकती है।’
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के प्रमुख दीपक जसानी का कहना है, ‘सालाना आधार पर, हमने समग्र स्तर पर उम्मीदें कम बनाए रखी हैं। इसकी वजह यह है कि भारत की जीडीपी पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में इसमें सालाना आधार पर 8 से 11 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है। हालांकि कम बिक्री और जिंस कीमतों में नरमी की वजह से सालाना आधार पर राजस्व में कमी दर्ज की जा सकती है, लेकिन कच्चे माल की कम लागत, लागत नियंत्रण उपायों और कर की कम दर के कारण मार्जिन में सुधार देखा जा सकता है।’
