पिछले साल फंडों के वितरण को मजबूत बनाने के लिए म्युचुअल फंड (MF) उद्योग की नई पहलों से सकारात्मक बदलाव लाने में मदद मिली। पिछले साल करीब 24,000 लोगों ने एमएफ वितरण लाइसेंस हासिल किया, जबकि वर्ष 2021 में यह आंकड़ा 17,000 था।
उद्योग के अधिकारियों के अनुसार, 2022 में एमएफ वितरक जुड़ने की दर में 42 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जिसकी मुख्य वजह इस उद्योग द्वारा शुरू की गई दो नई पहलें थीं – इंटर्नशिप स्कीम और ‘एमएफडी करें शुरू’ नाम से विज्ञापन अभियान।
मार्च 2022 में, भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) ने म्युचुअल फंड वितरकों के तौर पर पात्र लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए एक इंटर्नशिप कार्यक्रम की घोषणा की थी, जिसका मकसद देश में ऐसे वितरकों की संख्या बढ़ाना और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना था।
जुलाई में, एम्फी ने एक आकर्षक पेशे के तौर पर एमएफ वितरण को प्रचारित करने के लिए ‘एमएफडी करें शुरू’ नाम से मीडिया अभियान शुरू किया।
एलआईसी म्युचुअल फंड के जोनल हेड- पश्चिम (रिटेल) लव कुमार ने कहा, ‘एम्फी के अभियान से जागरूकता पैदा करने में मदद मिली, जिससे लोगों ने पेशे के तौर पर एमएफ वितरण में दिलचस्पी दिखाई।’
एम्फी के आंकड़े के अनुसार, व्यक्तिगत एमएफ वितरकों की संख्या देश के शेष हिस्सों (बी-30) के मुकाबले शीर्ष-30 (टी-30) में ज्यादा है। 31 दिसंबर, 2022 तक, टी-30 में 59,200 और बी-30 में 57,000 वितरक थे।
एमएफ वितरकों की कुल संख्या 2022 के अंत में करीब 116,000 थी, जो 2021 के अंत में 109,000 थी। वितरक संख्या में शुद्ध वृद्धि कुछ लाइसेंस के गैर-नवीकरण की वजह से नए पंजीकरण के मुकाबले कम है।
वर्ष 2020 में, एमएफडी पंजीकरणों की संख्या कोविड महामारी की वजह से घटकर 4,700 रह गई थी। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि एमएफ वितरकों के लिए जरूरी परीक्षाएं संचालित करने वाले संस्थान ने इन्हें टाल दिया था।
एमएफ वितरकों की बढ़ती संख्या से एसआईपी पंजीकरण में वृद्धि के संदर्भ में 2022 के दौरान डायरेक्ट प्लान की तुलना में एमएफ के रेग्युलर प्लान को मदद मिली। डायरेक्ट प्लान के जरिये नए एसआईपी पंजीकरण में सालाना वृद्धि 2022 में महज 4.5 प्रतिशत रही, जबकि 2021 में यह 115 प्रतिशत और 2020 में 505 प्रतिशत थी।
तुलनात्मक तौर पर, रेग्युलर प्लान के जरिये एसआईपी पंजीकरण पिछले साल 19 प्रतिशत बढ़ा। वर्ष 2020 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ था, जब डायरेक्ट प्लान के एसआईपी पंजीकरण में वृद्धि रेग्युलर प्लान के मुकाबले कमजोर रही।
एमएफ वितरक म्युचुअल फंडों के रेग्युलर प्लान बेचते हैं, क्योंकि इनसे उन्हें कमीशन प्राप्त करने में मदद मिलती है। वहीं डायरेक्ट प्लान ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्मों के जरिये बेचे जाते हैं और इनमें विक्रेता को कमीशन नहीं मिलता है।