भारत के शेयर बाजारों ने परमाणु हथियार संपन्न पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ 11 बार टकरावों को झेला है। लेकिन इससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। आनंद राठी के अनुसार सबसे तेज यानी 14 फीसदी की गिरावट 2001 में संसद पर हमले के दौरान हुई थी, जो मोटे तौर पर प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के कारण हुई थी। उस दौरान भारतीय शेयरों ने एसऐंडपी 500 से भी बेहतर प्रदर्शन किया। करगिल युद्ध के चरम पर भी कोई गिरावट नहीं हुई और एफपीआई ने दोनों घटनाओं के दौरान खरीदारी जारी रखी। लेकिन मौजूदा तनाव, जिसमें खुले तौर पर दुश्मनी और आधुनिक हथियार दोनों शामिल हैं, उस मजबूती की परख कर सकता है।
स्थिर रहने के बाद शुक्रवार को बाजार डगमगा गया और सेंसेक्स और निफ्टी में 1 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज हुई। एफपीआई ने 16 लगातार सत्रों में कुल 50,000 करोड़ रुपये की खरीद के बाद 3,800 करोड़ रुपये की बिकवाली की। विश्लेषकों का मानना है कि युद्ध विराम स्वागत योग्य राहत है, लेकिन अगर संघर्ष लंबा खिंचता तो इसका प्रभाव वास्तविक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता था।