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1,000 करोड़ पूंजीकरण वाली कंपनियों पर अतिरिक्त सख्ती

Last Updated- December 12, 2022 | 1:57 AM IST

बीएसई ने बुधवार को स्पष्ट किया कि अतिरिक्त सख्ती उसके प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्घ खासकर सिर्फ उन्हीं शेयरों पर लागू होगी, जिनका बाजार पूंजीकरण 1,000 करोड़ रुपये से कम है। इसके अलावा, इसमें सिर्फ वे शेयर ही शामिल होंगे जो एक्स, एक्सटी, जेड, जेडपी, जेडवाई और वाई समूह का हिस्सा हैं और 10 रुपये प्रति शेयर से ज्यादा के भाव पर हैं।
सोमवार को जारी सर्कुलर में एक्सचेंज ने नए निगरानी ढांचे की घोषणा की थी। इस निगरानी ढांचे का मकसद अटकलबाजी को नियंत्रित करना है। इसके तहत एक्सचेंज ने किसी खास समय अवधि के दौरान शेयर में तेजी और गिरावट को सीमित किया है।

यह निर्देश स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयर में गिरावट को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया, क्योंकि इससे उन आशंकाओं को बढ़ावा मिला था कि निवेशक और कारोबारी सर्कुलर की वजह से जल्दबाजी में बिकवाली कर रहे हैं।
हालांकि इस नए सर्कुलर से इन आशंकाओं को दूर करने में मदद मिली है। विश्लेषकों का कहना है कि सख्ती सिर्फ खास वर्ग के शेयरों पर ही लागू होगी।

एडलवाइस अल्टरनेटिव रिसर्च के सहायक उपाध्यक्ष अभिलाष पगारिया ने कहा, ‘नए मूल्य निर्धारण ढांचे से सिर्फ उन कुछ शेयरों पर प्रभाव पड़ेगा जो विशेष रूप से बीएसई पर सूचीबद्घ हैं। बाजार में बिकवाली को बढ़ावा देने वाली आशंकाएं निराधार हैं।’
बीएसई के स्पष्टीकरण के बाद, बाजार धारणा में सुधार देखा गया है। कारोबार के शुरू में, चढऩे-गिरने वाले शेयरों का अनुपात 1:6 पर था, जो बाद में सुधरकर 1:2 पर पहुंच गया।

तेज उतार-चढ़ाव उन शेयरों तक सीमित होगा, जो नए मूल्य निर्धारण ढांचे के दायरे में आते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई खास शेयर 6 महीने में अधिकतक 6 गुना तक, एक साल में 12 गुना और दो साल में 20 गुना तक ऊपर जा सकता है।

बाजार विश्लेषकों का कहना है कि इस सर्कुलर से माइक्रोकैप में हेरफेर की गतिविधि रोकने में मदद मिलेगी।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘यह अत्यधिक अटकलबाजी की गतिविधि को नियंत्रित करने के लिए समय पर शुरू की गई पहल है। इस सेगमेंट में कई शेयर कम तरलता वाले हैं, और इसलिए कारोबारियों द्वारा इनमें हेरफेर किए जाने की आशंका है। बाजार की मौजूदा तेजी की स्थिति में, शेयरों में छेड़छाड़ आसान है और ऐसा होते दिख भी रहा है। इसलिए बीएसई की यह पहल बाजार की अखंडता के नजरिये से उचित है।’

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस सर्कुलर का व्यापक लाभ हो सकता है। सैंक्टम वेल्थ मैनेजमेंट में शोध निदेशक आशिष चतुरमोहता का कहना है, ‘सर्कुलर का अल्पावधि प्रभाव उन स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयरों में बिकवाली को बढ़ावा देगा, जो पिछले दो-तीन कारोबारी सत्रों में सुर्खियों में थे। इसका प्रभाव सिर्फ बीएसई पर सूचीबद्घ शेयरों तक सीमित नहीं होगा बल्कि सभी शेयरों पर दिखेगा, क्योंकि इससे निवेशकों में आशंका पैदा हुई है।’

First Published - August 11, 2021 | 11:52 PM IST

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