एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के अनुसार, सिर्फ 70-80 फीसदी सक्रिय एसआईपी खाते ही मासिक म्युचुअल फंड (एमएफ) निवेश में योगदान करते हैं। इसका मतलब है कि पांच में से एक एसआईपी खाता या तो रुका हुआ है या हर महीने लेनदेन में विफल हो रहा है। फरवरी 2025 में 10.17 करोड़ सक्रिय एसआईपी खातों में से 8.26 करोड़ ने 26,000 करोड़ रुपये के एसआईपी निवेश में योगदान किया।
दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक योजनाओं के लिए लगातार तीन असफल लेनदेन के बाद एसआईपी खाते को निष्क्रिय माना जाता है। अन्य योजनाओं के लिए लगातार दो असफल किश्तों के बाद खाता बंद हो जाता है।
अप्रैल 2024 में योगदान करने वाले एसआईपी खाते का प्रतिशत 73 था, जो फरवरी 2025 में 81 फीसदी पर पहुंच गया। इक्विटी बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच हाल के महीनों में एसआईपी खाता बंद होने की संख्या में तेजी आई है। फरवरी में लगातार दूसरे महीने एसआईपी खातों की कुल संख्या में कमी देखी गई। जनवरी में शुद्ध रूप से 5,00,000 लाख खाते बंद होने के बाद फरवरी में सक्रिय एसआईपी खातों की कुल संख्या 10 लाख घटकर 10.17 करोड़ रह गई।
हालांकि, जनवरी और फरवरी में बंद होने की वजह अलग-अलग सेगमेंट थे। फरवरी में रेग्युलर प्लान एसआईपी खातों में 8,00,000 की कमी आई, जो एक साल से ज्यादा समय में पहली मासिक गिरावट थी। जनवरी में यह कमी डायरेक्ट प्लान या डू-इट-योरसेल्फ़ सेगमेंट से आई थी।
खाते बंद होने के बावजूद एसआईपी से योगदान स्थिर रहा। जनवरी और फरवरी में कुल संग्रह दिसंबर के निवेश के समान ही रहा। जनवरी में एसआईपी खातों से 26,400 करोड़ रुपये और फरवरी में 25,999 करोड़ रुपये आए। एसआईपी निवेश ने पिछले तीन से चार वर्षों में लचीलापन दिखाया है, पर इसने इक्विटी बाजार को विशेष रूप से अस्थिरता के समय महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान किया है।