ट्रेडिंग वॉल्यूम पर असर पड़ सकता है क्योंकि मंगलवार से 75 फीसदी पीक मार्जिन के नियम लागू हो जाएंगे। पिछले साल बाजार नियामक सेबी ने सटोरिया ट्रेडिंग को न्यूनतम करने के लिए तथाकथित पीक मार्जिन के नियम लागू किए थे। सामान्य शब्दों में, ब्रोकरों की तरफ से अपने क्लाइंटों को नकदी व डेरिवेटिव बाजार में उधारी के जरिए कारोबार की पेशकश होती थी, जिस पर लगाम कसा गया है। ये नियम दिसंबर 2020 से शुरू होकर चरणबद्ध तरीके से लागू किए गए हैं। दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच ट्रेडरोंं को कम से कम 25 फीसदी पीक मार्जिन बनाए रखना था। मार्च व मई के बीच मार्जिन बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया। अब जून से अगस्त के बीच इसे बढ़ाकर 75 फीसदी कर दिया जाएगा। अंतत: सितंबर से यह 100 फीसदी पर पहुंच जाएगा। दूसरा चरण पहले ही वॉल्यूम पर असर डाल चुका है और बाजार के प्रतिभागियों को डर है कि इंट्राडे कैश व फ्यूचर में वॉल्यूम और घटेगा क्योंकि 75 फीसदी पीक मार्जिन का नियम लागू होने जा रहा है। ब्रोकर उद्योग के निकाय ने सेबी से अनुरोध किया था कि 50 फीसदी पीक मार्जिन के नियम अभी जारी रहने दिया जाए।
उद्योग निकाय एएमएनआई ने पिछले हफ्ते लिखे पत्र में कहा था, दुनिया भर में कहीं भी क्लाइंटों को अग्रिम पीक मार्जिन नहीं देना होता है। निफ्टी में ओपन इंटरेस्ट यानी खड़े सौदे पहले ही भारत के मुकाबले सिंगापुर में ज्यादा हैं।