जब आप किसी कॉलेज में एडमिशन लेने जाते हैं तो 100% प्लेसमेंट की बात कही जाती है। छात्रों को यह बताकर ढाढस बंधाया जाता है कि डिग्री पूरी होने के बाद उनके हाथ नौकरी होगी। लेकिन ग्राउंड रियलिटी इससे बिल्कुल उलट है।
हायरिंग प्लेटफॉर्म Unstop की रिपोर्ट ने भारत में एजुकेशन और रोजगार के बीच खाई के बारे में बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, केवल 7% हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट ही अपने छात्रों के लिए 100% प्लेसमेंट का बंदोबस्त कर पा रहे हैं।
11,000 से ज्यादा छात्रों, कॉलेजों और रिक्रूटर्स के सर्वे के आधार पर, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 50% से ज्यादा छात्रों को अपने पसंदीदा सेक्टर में नौकरी मिलने की उम्मीद नहीं है।
हालांकि, सर्वे में शामिल 75 प्रतिशत HR प्रोफेशल्स ने भर्ती में स्थिरता या वृद्धि देखी है। हालांकि, 19 प्रतिशत HR प्रोफेशल्स ने भर्ती न करने की सूचना दी, 11 प्रतिशत ने भर्ती पर कुछ समय के लिए रोक के बारे में बताया, और बाकी 8 प्रतिशत के पास कोई पद उपलब्ध नहीं था।
नौकरी बाजार में मांग और सप्लाई में अंतर एक बड़ी चिंता का विषय
नौकरी बाजार में मांग और सप्लाई में अंतर एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। मनीकंट्रोल के हवाले से Unstop के सीईओ अंकित अग्रवाल ने कहा- कंपनियां टैलेंटेड कर्मचारियों की तलाश कर रही हैं, लेकिन उन्हें सही स्किल वाले लोग नहीं मिल पा रहे हैं।
HR प्रोफेशनल्स का कहना है कि कैंपस भर्ती में स्किल गैप एक बड़ी चुनौती है। लगभग 66% HR प्रोफेशनल्स ने कहा कि छात्रों के पास इंडस्ट्री की जरूरतों के हिसाब से से स्किल नहीं है। स्किल गैप के अलावा, छात्रों में तैयारी की कमी भी एक बड़ी समस्या है।
42% विश्वविद्यालयों का कहना है कि छात्रों में तैयारी की कमी के कारण उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है। HR प्रोफेशनल्स का कहना है कि वे स्किल-आधारित भर्ती को प्राथमिकता देते हैं। वे अनुभव, शिक्षा, रेफरेंस, इंटर्नशिप और प्रोजेक्ट जैसे फैक्टर्स पर को कम तरजीह देते हैं।
कुल ऑफर्स में से 35% टेक्नॉलजी सेक्टर में दिए गए। बिजनेस स्कूलों, आर्ट, साइंस और कॉमर्स के 62% छात्रों और 25% इंजीनियरिंग छात्रों को नौकरी या इंटर्नशिप के ऑफर मिले।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को टेक सेक्टर से सबसे ज्यादा नौकरी के ऑफर मिलते हैं। 2024 में, इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को मिले कुल ऑफर में से 72% टेक सेक्टर से थे। बी-स्कूल ग्रेजुएट को कुल मिलाकर ज्यादा नौकरी के ऑफर मिलते हैं, लेकिन उनमें से केवल 18% टेक सेक्टर से होते हैं।
ज्यादातर बी-स्कूल ग्रेजुएट (45%) स्थापित और जमी-जमाई कंपनियों में काम करना पसंद करते हैं। केवल 10% छात्र स्टार्टअप के लिए काम करने में रुचि रखते हैं। बी-स्कूल के छात्रों के लिए मार्केटिंग सबसे लोकप्रिय डोमेन है, जबकि आर्ट और साइंस के छात्रों के लिए फाइनेंस और एनालिटिक्स सबसे लोकप्रिय डोमेन है। भारत के प्रीमियम इंस्टीट्यूट संस्थान जैसे IIT, IIM और NIT इस रिपोर्ट का हिस्सा नहीं थे।
किसको कितनी मिलती है सैलरी?
बिजनेस स्कूलों के ग्रेजुएट्स को इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के ग्रेजुएट्स की तुलना में ज्यादा वेतन मिलता है। 2024 में, बिजनेस स्कूलों का औसत वेतन 20 लाख रुपये प्रति वर्ष (LPA) था, जबकि इंजीनियरिंग का औसत वेतन 6-10 LPA था।
इंजीनियरिंग में, पुरुष और महिला छात्रों को समान औसत वेतन मिलता है, लेकिन आर्ट और साइंस के छात्रों के बीच वेतन में काफी अंतर होता है। पुरुष आर्ट और साइंस के छात्रों को 6-10 LPA का औसत वेतन मिलता है, जबकि महिला आर्ट और साइंस की छात्रों को 2-5 LPA का औसत वेतन मिलता है।
बी-स्कूलों में, पुरुषों को महिलाओं की तुलना में ज्यादा वेतन मिलता है। 55% पुरुषों को 16 LPA से ज्यादा का वेतन मिलता है, जबकि केवल 45% महिलाओं को 16 LPA से ज्यादा का वेतन मिलता है।
छंटनी के बढ़ते डर के कारण, ज्यादातर छात्र वेतन वृद्धि के बजाय नौकरी की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। 60% छात्रों ने कहा कि वेतन वृद्धि से ज्यादा नौकरी की सुरक्षा उनके लिए महत्वपूर्ण है।