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2023 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए ‘सतर्कता और उचित प्रतिक्रिया’ है सलाह

Last Updated- January 02, 2023 | 10:37 PM IST
Mayor of Delhi said, MCD hospital is fully ready, no need to panic
PTI

भारत ने 2022 में अपनी आबादी के बीच कोविड-19 वायरस के प्रसार से निपटने में उच्च प्रदर्शन किया है, लेकिन विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि इसके कारण सावधानी में कोई कमी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सतर्कता और उचित प्रतिक्रिया से ही 2023 में सुरक्षित रहा जा सकता है। ऐसा इसलिए है कि भारत कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए अच्छा प्रबंधन कर रहा है जबकि, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया सहित दुनिया भर के कई देश नए मामलों में भारी उछाल के बीच संघर्ष कर रहे हैं और वहां अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों और मौत की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

वर्ष की शुरुआत कोविड महामारी की तीसरी लहर के साथ हुई, क्योंकि वायरस के डेल्टा वेरिएंट की जगह अधिक संक्रमण वाले वायरस वेरिएंट ओमीक्रोन ने ले ली। जनवरी के तीसरे सप्ताह में लगभग 350,000 कोविड मामलों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया और अब यह संख्या लगभग 150-200 तक रह गई है। जबकि, इसके मुकाबले अकेले चीन में 10 लाख लोगों की मौत का अनुमान है।

सरकार ने सतर्कता बरतते हुए तैयारी का आकलन करने के लिए 27 दिसंबर को एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया। इसमें कोविड-19 सुविधाओं का जायजा लिया गया और विदेशों से आने वाले 2 फीसदी यात्रियों के कोविड परीक्षण को आवश्यक कर दिया गया। चीन, हॉन्ग कॉन्ग, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और थाईलैंड से भारत आने वाले लोगों के लिए यात्रा शुरू होने से पहले आरटी-पीसीआर परीक्षण भी 1 जनवरी से अनिवार्य कर दिया गया।

2022 के सर्वाधिक मामलों के बाद जब से स्थिति सामान्य हुई है, उसके कई महीनों बाद ऐसा निर्णय आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक ओमीक्रोन और इसके वेरिएंट मौजूद रहेंगे, तब तक ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता है। एक वरिष्ठ विषाणु विज्ञानी जैकब जॉन ने कहा, ‘हम मामले पर निगरानी कर रहे हैं, और यह जरूरी भी है। ओमीक्रोन और इसके सब-वेरिएंट का प्रसार पूरे दुनियाभर में सबसे अधिक है और इसके कारण कोई गंभीर हाइपोक्सिया जैसी परेशानी नहीं हो रही है।’

वह इस बात पर भी सहमत हुए कि भारत ने वायरस को अपनी आबादी के बीच फैलने दिया, और इसके कारण अधिकतर लोग या तो इससे संक्रमित हो चुके हैं या टीका लगवाकर प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके हैं। भारत ने जुलाई में 2 अरब से अधिक टीकाकरण पूरा कर लिया था और अपनी पूरी पात्र आबादी को कम से कम एक टीका लगवाने का काम पूरा कर दिया। हालांकि अभी देश कोविड के एहतियाती खुराक को लेने के मामले में पीछे है। नवंबर के अंत तक, भारत की 27 फीसदी पात्र आबादी को खुराक दी जा चुकी थी, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 33 फीसदी का है।

यूरोपीय देशों और अमेरिका में कुल मिलाकर 45 फीसदी लोगों को एहतियाती खुराक दी जा चुकी है। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेलूर में माइक्रोबायोलॉजिस्ट और प्रोफेसर गगनदीप कांग कहती हैं, ‘हम भाग्यशाली रहे कि ओमीक्रोन अन्य वेरिएंट के मुकाबले हल्की बीमारी है और 2022 की शुरुआत तक हमारी आबादी का अच्छी तरह से टीकाकरण हो चुका है।’ उन्होंने कहा कि भारत में टीकाकरण को लेकर बेहतर अभियान चले। हालांकि, भारत ने स्कूलों को लंबे समय तक बंद रखने में गलती की। कांग ने कहा कि सतर्कता और उचित प्रतिक्रिया भारत और अन्य जगहों के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

हालांकि, पूरे सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे का एक दूसरा पहलू महामारी को काबू में करने के लिए सिर्फ इसी पर ही ध्यान देना था,जिसके कारण अन्य रोगों की चिंता छोड़ दी गई। देश के विभिन्न हिस्सों में खसरे का प्रकोप महामारी के दौरान इसके टीके की नियमित खुराक छूटने का संकेत है।

इसलिए, विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय निगरानी को और मजबूत करने का है, लेकिन इसके साथ ही भविष्य के लिए महामारी नीतियों पर भी काम करने की जरूरत है। केरल के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, मंजेरी में कम्युनिटी मेडिसन के एसोसिएट प्रोफेसर अनीश टी एस ने कहा कि अगली महामारी 25 या 30 साल में हो सकती है, जिसके बारे में कोई नहीं जानता। यह एक बैक्टीरिया से संबंधित महामारी भी हो सकती है, और इसे संभालना अधिक कठिन हो सकता है, क्योंकि बैक्टीरिया के लिए आसानी से टीके नहीं बनाए जा सकते हैं और कई ऐंटीबायोटिक्स दवा- प्रतिरोधी बैक्टीरिया के खिलाफ काम नहीं करती हैं।

अस्पतालों में पहले जैसी स्थिति

भारत की दवा कंपनियों के लिए वर्ष 2022 महामारी से निपटने के लिए प्रयोग करने जैसा था, सब कुछ पहली बार जैसे ही हो रहा था। कई कंपनियों में से एक, भारत बायोटेक से देश को अपना पहला और दुनिया का दूसरा इंट्रानेजल टीका मिला, जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स से एक तापमान-स्थिर स्वदेशी रूप से विकसित एमआरएनए टीका मिला और इसने एक कोरोनावायरस टीके विकसित करने के लिए परियोजनाओं को शुरू किया और स्वदेशी रूप से भारत के सीरम इंस्टीट्यूट से पहला एचपीवी टीका विकसित किया।

टीका निर्माता कंपनियां 2021 में हीरो बनकर उभरी थीं, लेकिन अब उन्होंने कोविड टीके बनाना बंद कर दिया है। एक कंपनी के सीईओ ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि कोविड-19 टीका बनाना तब तक कोई बहुत अधिक फायदेमंद नहीं है, जब तक इसके वायरस का प्रसार नहीं हो और फिर से कोई गंभीर बीमारी होना शुरू नहीं हो जाए। उन्होंने कहा कि यहां तक कि टीकों का निर्यात भी बहुत लाभदायक नहीं है। अफ्रीका ने इस बात पर विश्वास करना शुरू कर दिया था कि इसकी आबादी ने संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता विकसित करना शुरू कर दिया है।

दवा कंपनियों ने भी अपनी रणनीतियों को भी स्थिति के अनुसार परिवर्तित किया है। जैसे पुरानी बीमारियों पर ध्यान केंद्रित करना, और कार्डियक और मधुमेह उपचारों में समाप्त हुए अपने पेटेंट के बाद फिर से अवसरों की तलाश कर रही हैं। । उनमें से अधिकांश टीका निर्माताओं को 2022-23 की पहली तिमाही की शुरुआत तक अपनी कोविड-19 दवाओं की सूची को किनारे रखना पड़ा। इसके अलावा, जो स्थानीय मेडिकल डिवाइस कंपनियों द्वारा कोविड की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई थी, वे अधिकांश रूप से या तो बेकार पड़ी है या फिर उसे फिर से लगाया जा रहा है।

यह भी पढ़ें: ‘कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सावधानी और सतर्कता जरूरी’

जो अतिरिक्त ऑक्सीजन क्षमता तैयार की गई थी,उसकी भी यही स्थिति है। भारत ने 2020 और 2021 के दौरान अपने लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन और प्रेशर स्विंग ऐड्जॉर्प्शन (पीएसए) संयंत्रों को लगभग 20 गुना बढ़ा दिया था। ओमीक्रोन लहर से ठीक पहले, भारत में कुल ऑक्सीजन क्षमता 20,000 टन प्रति दिन की थी। देश में अब प्रतिदिन केवल 1,200-1,300 टन का ही उपयोग होता है। इस बीच, अस्पतालों में एक समय में कम हो गई इलेक्टिव सर्जरी की मांग अब फिर से बढ़ गई है और इसके कारण विदेशी मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है।

मणिपाल हॉस्पिटल्स के एमडी और सीईओ दिलीप जोस ने कहा कि बीती बातों पर गौर करें तो 2022 अस्पताल क्षेत्र के लिए एक मिलाजुला वर्ष था। वर्ष की शुरुआत ओमीक्रोन वायरस के फैलाव के साथ हुई। हालांकि, जब एक बार तीसरी लहर कम हुई और फिर से तेजी से कोविड मामलों में उछाल आई। विशेष रूप से अप्रैल-मई के बाद से कई ऐसे मामले अस्पतालों में देखे गए। जोस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मरीज भी देश लौटने लगे और अब जब 2022 का अंत हो रहा है, ऐसे रोगियों की संख्या पूर्व-कोविड स्तर या उससे भी अधिक पहुंच गई है। भारत और इसके स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए, यह स्पष्ट रूप से पूर्व-कोविड स्तर की ओर लौटने का वर्ष रहा है और साथ ही साथ वैश्विक विकास पर विशेष ध्यान देना भी एक विशेष विषय रहा।

First Published - January 2, 2023 | 10:37 PM IST

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