स्वास्थ्य

फेफड़ों की गंभीर बीमारी के लिए कॉम्बिनेशन दवा लाएगी ल्यूपिन

भारतीय फार्मा उद्योग 2047 तक 450 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है

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संकेत कौल   
Last Updated- November 23, 2023 | 10:05 PM IST

वैश्विक फार्मा कंपनी ल्यूपिन ने फेफड़े की गंभीर बीमारी (सीओपीडी) के इलाज के लिए दुनिया की पहली निश्चित खुराक वाली ट्रिपल कॉम्बिनेशन दवा (एफडीसी) विल्फ्यूरो-जी पेश करने की घोषणा की है। विल्फ्यूरो-जी एक खुराक में उपलब्ध है और सीओपीडी के इलाज के लिए इसे रोजाना एक बार लेने की सलाह दी जाती है।

सीओपीडी में कई गंभीर बीमारियां शामिल हैं जिससे सांस संबंधी शिकायतें होती हैं और सांस लेने में तकलीफ होती हैं। ल्यूपिन के ड्राई पाउडर इनहेलर (डीपीआई) उत्पाद के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा दी गई मंजूरी के बाद कंपनी ने इसकी घोषणा की है।

ल्यूपिन के प्रबंध निदेशक नीलेश गुप्ता ने कहा, ‘हमें विल्फ्यूरो-जी पेश करते हुए खुशी हो रही है। यह मरीजों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है और नवाचार पर हम केंद्रित हैं यह दिखाता है। हमारे श्वसन पोर्टफोलियो का विस्तार करने, सीओपीडी के मरीजों के इलाज तक पहुंच प्रदान करने और जीवन को बदलने के हमारे संकल्प को मजबूत करता है।’

कंपनी ने बयान जारी कर रहा है, ‘भारत में फिलहाल 3.7 करोड़ लोग सीओपीडी से ग्रस्त हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जो देश में मृत्यु और दिव्यांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत इस बीमारी का 18 फीसदी बोझ वहन करता है।’ ल्यूपिन विल्फ्यूरो-जी एकमात्र एफडीसी है जो मध्यम से गंभीर सीओपीडी इलाज और उपचार के लिए विशिष्ट रूप से विलेनटेरोल, फ्लुटिकासोन फ्यूरोएट और ग्लाइकोपाइरोनियम ब्रोमाइड को मिलाकर बनाई गई है।

भारतीय फार्मा उद्योग 2047 तक 450 अरब डॉलर का होगा

ईवाई-पार्थेनन और ऑर्गनाइजेशन ऑफ फार्मास्युटिकल्स प्रोड्योसर्स ऑफ इंडिया (ओपीपीआई) की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि आजादी के 100वें साल में यानी साल 2047 तक भारत का फार्मा उद्योग 450 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। उद्योग की यह वृद्धि परिवर्तनकारी नवोन्मेष, उत्पादन और गुणवत्ता मानकों में सुदृढ़ीकरण और अच्छी स्वास्थ्य सेवा के कारण होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उद्योग का लक्ष्य घरेलू बाजार का विस्तार कर, देश की आर्थिक वृद्धि और काफी हद तक आयुष्मान भारत और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसी सरकारी पहलों से स्वास्थ्य सेवाओं को अपना कर साल 2030 तक 130 अरब डॉलर तक पहुंचने का है और फिर साल 2047 तक 450 अरब डॉलर तक पहुंचने का है।’

रिपोर्ट पेश करने के दौरान ईवाई पार्थेनन के पार्टनर और नैशनल लाइफ साइंसेज लीडर सुरेश सुब्रमण्यन ने कहा कि रिपोर्ट एक नवाचार केंद्रित बनने, वैश्विक फार्मा आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और डिजिटलीकरण के साथ स्वास्थ्य सेवा तक स्थायी पहुंच सुनिश्चित करने की उद्योग की क्षमता की जांच करती है।

First Published : November 23, 2023 | 10:05 PM IST