प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
दर्शकों का ध्यान एक जगह केंद्रित करने का औसत समय लगातार कम होते जाने के साथ शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट की मांग बढ़ रही है, लेकिन गूगल इंडिया को नहीं लगता कि उभरता माइक्रोड्रामा कंटेंट यूट्यूब शॉर्ट्स की व्यूअरशिप को कोई चुनौती दे पाएगा। गूगल इंडिया के मीडिया और मनोरंजन प्रमुख मनीष धामणकर ने कहा कि देश में लगभग 65 करोड़ यूजर्स रीच के साथ यूट्यूब शॉर्ट्स और माइक्रोड्रामा प्लेटफॉर्म एक साथ मिलकर शॉर्ट-फॉर्म सामग्री का व्यापक इकोसिस्टम चला रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह कंपनी के हालिया सर्वेक्षण से पता चलती है जिसके अनुसार 69 प्रतिशत लोग शाम को अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर सुकून देने वाली सामग्री की तलाश करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के मीडिया और मनोरंजन उद्योग में काफी विविधता है। इसमें यूजर्स औसतन लगभग 6.5 स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। इसमें माइक्रोड्रामा भी है, जहां 63 प्रतिशत दर्शक दो से तीन ऐप पर सामग्री का आनंद लेते हैं और 17 प्रतिशत दर्शक 5 से अधिक ऐप देखते हैं।
धामणकर ने कहा, ‘यूट्यूब इस कंटेंट की खोज का प्रवेश द्वार है। हमारी ओर से किए गए अध्ययन के अनुसार, यह ओटीटी कंटेंट की खोज के शीर्ष पांच स्रोतों में से एक है। यही कारण है कि अन्य ओटीटी और माइक्रो-ड्रामा ऐप भी अपने कंटेंट तक दर्शकों को लाने के लिए इसका सहारा ले रहे हैं। मेरा मानना है कि हम एक ही इकोसिस्टम में मिल-जुलकर काम कर रहे हैं और सभी के लिए अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए पर्याप्त दर्शक मौजूद हैं।’
उन्होंने आगे कहा कि कनेक्टेड टीवी सेगमेंट के माध्यम से यूट्यूब की भारत में लगभग 7.5 करोड़ यूजर्स तक व्यापक पहुंच है। कई श्रृंखलाबद्ध माइक्रो-ड्रामा पहले से ही यूट्यूब शॉर्ट्स पर देखे जाते हैं। माइक्रोड्रामा मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र का उभरता हुआ सेगमेंट बन गया है, जिसमें उपभोक्ता, कंपनियां और वेंचर कैपिटल हर स्तर पर मजबूत मांग है। इस श्रेणी में इस साल 25 करोड़ से अधिक इंस्टॉलेशन के साथ यह विस्तार देखने को मिला है। अकेले नवंबर महीने में शीर्ष 10 मुफ्त मनोरंजन ऐप में से पांच भारतीय माइक्रोड्रामा ऐप थे।
गूगल इंडिया इस सेगमेंट में जिन माइक्रोड्रामा प्लेटफॉर्म पर काम कर रहा है, उनमें डैशवर्स शामिल है, जिसने भारत का पहला एआई से संचालित माइक्रोड्रामा बनाया है, और क्विक टीवी, ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज का बुलेट और पॉकेट टीवी जैसे विज्ञापन आधारित माइक्रोड्रामा प्लेटफॉर्म हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे एआई टूल जैसे जेमिनी (विचारों और अनुसंधान), नैनो बनाना (स्टोरीबोर्डिंग और वास्तविक तस्वीरें), विओ 3 (वीडियो बनाने) और चिरप (ऑडियो बनाने व बहु-भाषा डबिंग) के माध्यम से इसने डैशवर्स जैसे माइक्रोड्रामा प्लेटफॉर्म को अपनी निर्माण क्षमता बढ़ाने में मदद की है।
इस बीच ज़ी5 ने गूगल के एआई टूल विगेनएयर सॉल्यूशन का इस्तेमाल कर न केवल अपने कंटेंट के ट्रेलर के लिए संपादन लागत में 95 प्रतिशत की कमी कर ली, बल्कि निर्माण से लेकर बाजार में पहुंचने तक का समय भी बचा लिया। ईवाई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एआई मीडिया और मनोरंजन उद्योग के लिए राजस्व में 10 प्रतिशत की वृद्धि और उत्पादन लागत में लगभग 10 प्रतिशत की कमी कर सकता है। यूट्यूब पर अन्य कंटेंट क्रिएटर्स या फिल्म निर्माताओं को अपनी फिल्में लॉन्च करने में सक्षम बनाने पर धामणकर ने कहा कि यूट्यूब हमेशा से ही क्रिएटरों को प्राथमिकता देने वाला प्लेटफॉर्म रहा है।
उन्होंने यह भी कहा, ‘यूट्यूब एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो यूजर्स, निर्देशकों या निर्माताओं को अपना कंटेंट परोसने का मौका देता है। हमारे पास व्यक्तिगत पहुंच बनाने की सहूलियत, प्रासंगिक उपभोक्ताओं तक उनकी पसंद का कंटेंट पहुंचाने का तरीका और लक्षित दर्शकों को ऐसे कंटेंट को खोजने में मदद करने की सुविधा सब कुछ मौजूद है। वास्तव में हम तमाम क्रिएटर्स को अपनी सामग्री लक्षित दर्शकों तक पहुंचाने के लिए इस मंच यानी यूट्यूब का इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित करते हैं।’
धामणकर ने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र काफी महत्त्वपूर्ण है और गूगल इंडिया इसे आगे बढ़ाने में मदद करने और कंटेंट निर्माण से लेकर वितरण, विकास और मोनेटाइजेशन आदि हर स्तर पर अपने उपकरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।