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Manoj Kumar Death: दिलों में देश, परदे पर गर्व बनकर जिये ‘भारत कुमार’, 87 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

Manoj Kumar Death: मनोज कुमार को बुधवार, 21 फरवरी 2025 को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

Last Updated- April 04, 2025 | 9:18 AM IST
Manoj Kumar death

Manoj Kumar Death: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और फिल्म निर्माता मनोज कुमार का शुक्रवार तड़के निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे। मनोज कुमार पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और उम्र संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।

फिल्म निर्माता अशोक पंडित, जो मनोज कुमार के पारिवारिक मित्र भी हैं, ने पीटीआई-भाषा को बताया कि शुक्रवार तड़के करीब 3:30 बजे उनका निधन हुआ। मनोज कुमार को बुधवार, 21 फरवरी 2025 को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी मौत का कारण तीव्र हृदयाघात (Acute Myocardial Infarction) के कारण आया कार्जियोजेनिक शॉक बताया गया है। इसके अलावा वे बीते कुछ महीनों से लीवर सिरोसिस की गंभीर स्थिति से भी जूझ रहे थे।

अपने करियर में मनोज कुमार ने ‘शहीद’, ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’ जैसी देशभक्ति से भरी फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई थी। वह ‘भारत कुमार’ के नाम से लोकप्रिय थे। मनोज कुमार को 1992 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें 2015 में फिल्म जगत के सबसे बड़े सम्मान दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) से भी नवाजा गया था।

मनोज कुमार को उनके अभिनय के साथ-साथ निर्देशन के लिए भी जाना जाता था। उन्होंने कई ऐसी फिल्में बनाईं जिनमें देशभक्ति की भावना साफ झलकती थी।

पीएम मोदी ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “महान अभिनेता और फिल्म निर्माता श्री मनोज कुमार जी के निधन से गहरा दुख हुआ। वह भारतीय सिनेमा के एक आइकन थे, जिन्हें खासतौर पर उनकी देशभक्ति भावना के लिए याद किया जाता है। उनकी फिल्में लोगों में राष्ट्रीय गौरव की भावना जगाती थीं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति।”

मनोज कुमार का शुरुआती जीवन और फिल्मी सफर

हिंदी सिनेमा में देशभक्ति की पहचान बन चुके मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गोस्वामी था। उनका जन्म आज के पाकिस्तान में स्थित एबटाबाद शहर में एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। विभाजन के समय वे अपने परिवार के साथ जनडियाला शेर ख़ां से दिल्ली आ गए थे। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 10 साल थी।

दिल्ली आने के बाद उन्होंने हिंदू कॉलेज से बीए की पढ़ाई की। मनोज कुमार, दिलीप कुमार, अशोक कुमार और कामिनी कौशल के बड़े प्रशंसक थे। उन्होंने ‘शबनम’ फिल्म में दिलीप कुमार का किरदार देखने के बाद अपना नाम मनोज कुमार रखने का फैसला किया।

मनोज कुमार को उनकी फिल्मों के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सात फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं। 1992 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया और 2015 में भारत सरकार ने उन्हें सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान ‘दादासाहेब फाल्के पुरस्कार’ से नवाज़ा।

शुरुआती दौर में संघर्ष, फिर मिली बड़ी पहचान

मनोज कुमार ने 1957 में फैशन ब्रांड से फिल्मी सफर की शुरुआत की थी, लेकिन यह फिल्म खास नहीं चली। इसके बाद सहारा (1958), चांद (1959) और हनीमून (1960) जैसी कुछ फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए। 1961 में उन्हें पहली बार कांच की गुड़िया में लीड रोल मिला। उसी साल पिया मिलन की आस, सुहाग सिंदूर और रेशमी रुमाल जैसी फिल्में भी आईं, लेकिन ये ज्यादा सफल नहीं रहीं।

1962 में मिली पहली बड़ी हिट

मनोज कुमार को पहला बड़ा ब्रेक 1962 में फिल्म हरियाली और रास्ता से मिला, जिसमें उन्होंने माला सिन्हा के साथ काम किया। इस फिल्म की सफलता के बाद शादी, डॉ. विद्या और गृहस्थी जैसी हिट फिल्में उनके खाते में आईं।

‘शहीद’ से बनी देशभक्त अभिनेता की छवि

1964 में आई फिल्म वो कौन थी? उनकी सुपरहिट फिल्मों में शामिल है, जिसकी कहानी और संगीत दोनों को खूब सराहा गया। 1965 में आई फिल्म शहीद ने उनके करियर को नया मोड़ दिया। भगत सिंह की जिंदगी पर आधारित इस फिल्म को दर्शकों के साथ-साथ प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी सराहा।

लगातार हिट फिल्मों से चमका करियर

हिमालय की गोद में (1965) और गुमनाम (1965) जैसी फिल्मों से उनकी स्टारडम और बढ़ी। इसके बाद उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970) और क्रांति (1981) जैसी फिल्मों ने उन्हें देशभक्ति का चेहरा बना दिया।

मनोज कुमार अपने पीछे पत्नी शशि और दो बेटे कुणाल और विशाल को छोड़ गए हैं।

First Published - April 4, 2025 | 9:18 AM IST

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