पत्रकारों का काम केवल सूचना देना ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद को मजबूत करना भी है। यह बात भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज कही। वह 25वें बिज़नेस स्टैंडर्ड-सीमा नेज़रथ अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म 2024 को संबोधित करते हुए कही।
चंद्रचूड़ ने कहा कि सच्चाई को उजागर करने और लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए पत्रकार का जुनून ऐसे समय में अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है जब ध्यान आकर्षित करना खुद ही एक नई बौद्धिक संपदा बन गया है और उसके बहुत चाहने वाले हैं। आज सूचना उपभोग का परिदृश्य बदल गया है और ऐसे में यह काफी अहम हो गया है।
यह पुरस्कार हर साल बिज़नेस स्टैंडर्ड के 30 वर्ष से कम उम्र के पत्रकारों को दिया जाता है।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने ‘जर्नलिज्म ऐज द मेनस्टे ऑफ डिमॉक्रसी’ यानी ‘पत्रकारिता लोकतंत्र का आधार है’ विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा, ‘पत्रकारों के बिना समाज जागरूकता और बौद्धिक लिहाज से निचले स्तर तक लुढ़क जाता है।’ किन्तु समाचार माध्यमों के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘सत्यता को ध्यान आकर्षण से, नैतिकता को तत्परता से और ईमानदारी को वाणिज्य से संतुलित करने संबंधी पत्रकारिता की क्षमता ही लोकतांत्रिक विमर्श के भविष्य को निर्धारित करेगी।’
पत्रकारों को एक सबसे पुराना कंटेंट क्रिएटर बताते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि उनका काम तथ्यों को एकत्रित करते हुए उन्हें प्रकाशित करने तक ही सीमित नहीं रहता। उन्होंने कहा, ‘पत्रकार तथ्यों और व्यक्तिपरक धारणा के बीच महत्त्वपूर्ण संबंध स्थापित करने में लगे रहते हैं। वे तथ्यों को ऐतिहासिक और आर्थिक दृष्टिकोण से व्याख्या करते हैं।’ यह एक महत्त्वपूर्ण काम है क्योंकि पत्रकारिता के नजरिये से तथ्यों की व्याख्या करना सत्य को उजागर करने का जुनून है। सत्य की गुणवत्ता ही हमारे लोकतंत्र की सेहत को परिभाषित करती है।
चंद्रचूड़ ने कहा कि लोकतंत्र ऐसा मानता है कि तमाम मतभेदों के बावजूद वास्तविकता यानी कुछ ऐसे तथ्य मौजूद होते हैं जो सार्वजनिक चर्चा को आकार देते हैं। उन्होंने कहा, ‘पत्रकारिता लंबे समय से उस वास्तविकता की प्रहरी रही है जो सत्य को बरकरार रखने के लिए काम करती है।’ उन्होंने बताया कि मीडिया उपभोग के उदय ने किस प्रकार सूचनाओं को सनसनीखेज बनाने और गलत एवं भ्रामक सूचनाओं के वायरल होने वाले माहौल में पत्रकारिता पर अभूतपूर्व दबाव डाला है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों की भागीदारी बढ़ाने वाले दो प्रमुख तथ्वों में व्यक्तिगत डेटा और व्यक्तिगत ध्यान आकर्षित करना शामिल हैं।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज पत्रकारिता के कंधों पर काफी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सत्य और वाणिज्य के बीच तनाव को पहचानना ही उसकी सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने माना कि किसी अन्य उद्यम की ही तरह मीडिया संगठनों को भी वित्तीय तौर पर समर्थ रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाजार से संचालित प्रकृति का मतलब यह है कि पत्रकारिता को पाठकों को अवश्य आकर्षित करना चाहिए, विज्ञापन राजस्व हासिल करना चाहिए और उन प्लेटफॉर्मों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए जो समान नैतिक बाधाओं से बंधे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह एक विरोधाभास पैदा करता है। चंद्रचूड़ ने कहा कि गहन शोध एवं तथ्यों का सत्यापन जैसे गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता के सिद्धांत अक्सर उस दौड़ में सुस्त पड़ जाते हैं जहां रफ्तार को ही पुरस्कृत किया जाता है। उन्होंने कहा कि सत्य काफी जटिल, सूचनाओं से भरे और अक्सर उबाऊ होता है।
तो पत्रकारिता इस पहेली से कैसे निपटती है? मीडिया की नैतिकता यह कैसे सुनिश्चित करती है कि व्यावसायिक हित और रिपोर्टिंग में कोई टकराव न होने पाए? इसके लिए चंद्रचूड़ ने कुछ आवश्यक उपाय सुझाए। उनमें पत्रकारिता की नैतिकता को आंतरिक नीतियों में समाहित करना, फंडिंग के स्रोतों में पारदर्शिता लाना, संपादकीय एवं व्यावसायिक हितों के बीच एक दूरी बनाए रखना और खोजी पत्रकारिता पर जोर देना शामिल हैं।
इससे पहले, पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए वरिष्ठ संवाददाता शिवा राजौरा को बिज़नेस स्टैंडर्ड-सीमा नेज़रथ अवार्ड 2024 प्रदान किया गया। वह नई दिल्ली में कार्यरत हैं। इस पुरस्कार के तहत 75,000 रुपये, एक चांदी का पेन और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। बिजनेस स्टैंडर्ड की दिवंगत युवा पत्रकार सीमा नेज़रथ की याद में बिज़नेस स्टैंडर्ड और नेज़रथ परिवार द्वारा यह पुरस्कार दिया जाता है। सीमा नेज़रथ का 19 मार्च, 1999 को निधन हो गया था।
जूरी ने श्रम क्षेत्र की रिपोर्टिंग में असाधारण जीवंतता लाने के लिए राजौरा की सराहना की। उन्होंने कर्मचारी भविष्य निधि में सुधार और ई-श्रम पोर्टल पर कल्याणकारी योजनाओं के एकीकरण के अलावा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों एवं श्रम संगठनों के संघर्षों के बारे में राजौरा की खबरों पर गौर किया।
इस साल पुरस्कार समारोह का आयोजन वर्चुअल माध्यम से किया गया। दिल्ली कार्यालय में कार्यरत वरिष्ठ उप संपादक अनुष्का भारद्वाज को स्पेशन मेंशन पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके तहत प्रशस्ति पत्र और 15,000 रुपये की नकद राशि प्रदान की जाती है।
सीमा नेज़रथ के पिता पीए नेज़रथ ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए याद किया कि पहला पुरस्कार किस प्रकार राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन द्वारा उनकी बेटी के जन्मदिन 21 फरवरी को प्रदान किया गया था। यह पुरस्कार प्रदान करने वाली हस्तियों में रूस के मशहूर लेखक लियो टॉल्स्टॉय के परपोते भी शामिल रहे हैं।
पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए वरिष्ठ संवाददाता शिवा राजौरा को बिज़नेस स्टैंडर्ड-सीमा नेज़रथ अवार्ड 2024 प्रदान किया गया और वरिष्ठ उप संपादक अनुष्का भारद्वाज को स्पेशल मेंशन अवार्ड प्रदान किया गया।