केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने गुरुवार को उन कारोबारियों के लिए राहत देने की घोषणा की है, जो भुगतान के ऑटोमेटेड सिस्टम में तकनीकी खामियां आने के कारण आयात शुल्क का भुगतान नहीं कर सके थे। भुगतान की नई व्यवस्था 1 अप्रैल से लागू की गई है।
तकनीकी खामियों के कारण आयात शुल्क का भुगतान न कर पाने के कारण हुई देरी पर 1 अप्रैल से 10 अप्रैल तक के लिए कारोबारियों को ब्याज नहीं देना पड़ेगा। सीमा शुल्क अधिनियम के मुताबिक अगर कोई आयातक निर्धारित समय में शुल्क का भुगतान नहीं कर पाता है तो भुगतान न किए गए शुल्क पर उसे 10 से 36 प्रतिशत ब्याज देना पड़ता है। इसके अलावा सरकार ने कुछ श्रेणी के सामान पर मैनुअल क्लियरेंस की व्यवस्था बहाल कर दी है।
सीबीआईसी ने एक अधिसूचना में कहा है, ‘बड़ी संख्या में ऐसे मामले आए हैं, जिनमें तकनीकी खामियों के काऱण शुल्क भुगतान की प्रक्रिया पूरी करने में समस्या हुई और भुगतान नहीं किया जा सका। यह समस्या कॉमन पोर्टल और उसके लिए अधिकृत बैंक के साथ 1 अप्रैल, 2023 और उसके बाद आई, जिसके कारण ब्याज बना है। यह कठिनाइय़ां नहीं आतीं तो पोर्टल पर ब्याज की गणना नहीं होती।’ डायरेक्टर जनरल, सिस्टम्स इस समय नई व्यवस्ढास्था की चुनौतियों को हल करने पर काम कर रहे हैं।
पिछले कुछ दिन से आयातकों व निर्यातकों को नए इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर (ईसीएल) को लेकर आ रही चुनौतियों को लेकर चिंता हो रही है, जिससे सीमा शुल्क का भुगतान कठिन हो गया है और इसकी वजह से बंदरगाहों पर माल की खेप फंसी हुई है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने खराब होने वाले सामान, फार्मास्यूटिकल उत्पादों, लिक्विड बल्क कार्गो, विनिर्माताओं, कुछ अन्य श्रेणी के आयातकों को मैनुअल मंजूरी की छूट दे दी है।
इसका मतलब यह है कि अगर कोई आयातक बैंक का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है, जिसमें यह संकेत है कि आयात शुल्क का भुगतान किया जा चुका है, भुगतान चालान प्रस्तुत करता है तो इस तरह के कंसाइनमेंट को मंजूरी दे दी जाएगी। इससे कंपनियों को तत्काल जरूरत के आयातित सामान को जल्दी हासिल करने की सुविधा मिल सकेगी। इसके अलावा आयातक बंदरगाहों से अपना सामान छुड़ाने में सक्षम नहीं थे, इसलिए सीबीआईसी ने शिपिंग लाइंस से कहा है कि वह 10 अप्रैल तक के डिटेंशन और डेमरेज शुल्क माफ कर दें।
यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर को आयातकों व निर्यातकों के लिए चरणबद्ध तरीके से पेश किया गया। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक खाता बनाया है, जिसमें धन डाला जा सकता है और जब जरूरत पड़े, शुल्क का भुगतान किया जा सकता है। यह डिजिटल वॉलेट की तरह काम करता है। इससे व्यापार में अनुपालन बोझ आसान होगा।
केपीएमजी में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि सरकार ने इस मसले को सक्रियता से संज्ञान में लिया और इसके समाधान के कदम की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि भुगतान की बैंक से पुष्टि होने पर उसे स्वीकार किए जाने से तात्कालिक आयात जरूरतों को हरी झंडी देने में मदद मिलेगी और देरी को लेकर वाणिज्यिक चिंता दूर होगी।