देश के उच्चतम न्यायालय ने रैनबैक्सी लेबोरेटरीज लिमिटेड को अपने दर्द बाम वोलिनी के विज्ञापन में से ‘असली’ शब्द को हटाने के निर्देश दिए हैं।
न्यायालय ने प्रतिस्पर्धी उत्पाद मूव की निर्माता कंपनी के विरोध के बावजूद कंपनी को बाकी का विज्ञापन टेलीविजन पर प्रसारित करने की आज्ञा दे दी है। गुजरात उच्च न्यायालय ने रैनबैक्सी पर विज्ञापन प्रसारण की रोक लगा दी थी। इस विज्ञापन में कहा गया था कि कंपनी का उत्पाद ‘असली आराम’ देता है, जबकि विज्ञापन में दिखाए जाने वाले बैंगनी रंग के दूसरे उत्पाद को किनारे कर दिया जाता है।
पारस फार्मास्युटिकल लिमिटेड, प्रतिस्पर्धी उत्पाद निर्माता कंपनी, ने रैनबैक्सी पर यह कहते हुए मुकदमा ठोक दिया था कि इससे कंपनी के उत्पाद की निंदा हुई है। उच्च न्यायालय ने पारस फार्मा की इस दलील को स्वीकारते हुए रैनबैक्सी के विज्ञापन पर रोक लगा दी थी। रैनबैक्सी के वकील हरीश सालवे ने दलील पेश करते हुए कहा कि बाजार में बढ़ा-चढाकर बोलना मान्य है और बाजार कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है।
हरीश ने आगे कहा कि अपने उत्पाद को ‘असली’ बताने से, किसी भी प्रतिस्पर्धी उत्पाद की छवि को खराब नहीं होती। काफी देर तक दलीलों का दौर चलने के बाद न्यायधीश एस एच कपाड़िया के नेतृतव वाली पीठ ने रैनबैक्सी को निर्देश दिए कि वह अपने विज्ञापन में शब्दों को बदल दे। वादी पक्ष के वकील अरुण जेटली का कहना था कि विज्ञापन में प्रतिस्पर्धी उत्पाद का रंग भी बदला जाए जो कि मूव जैसा दिखता है, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया।