अमेरिकी और एशियाई अर्थव्यवस्था में एक साथ आई मंदी ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस(आईएसबी)के इस वर्ष के छात्रों के लिए नौकरियों के लिए मुसीबत पैदा कर दी है।
मौजूदा वैश्विक आर्थिक संकट को देखते हुए सूचना-प्रौद्योगिकी और और इनसे जुड़ी कं पनियां, रियल एस्टेट कंपनियों के द्वारा बड़ी संख्या में नए लोगों को नियुक्त करने की संभावना बहुत कम ही दिखाई दे रही है। इन क्षेत्रों ने सम्मिलित रूप से वर्ष 2008 के लिए आए कुल 657 नौकरियों के ऑफर में 280 नौकरियों के ऑफर दिए थे ।
लेकिन इस साल जबकि छात्रों की तादाद भी पिछले साल की अपेक्षा ज्यादा है, इनके कैंपस आने की संभावना कम ही दिखाई दे रही है। इस बाबत आईएसबी डीन एम राममोहन रॉव का कहना है कि हमें नहीं लगता कि कंपनियां पिछले साल की तरह इस साल भी नौकरियों के ऑफर देगी क्योंकि अभी हालत बहुत ही डंवाडोल चल रही है।
हालांकि रॉव ने कहा कि इसका यह कतई मतलब नहीं निकाला जा सकता है कि इस बार छात्रों को बिल्कुल नौकरियां नहीं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि हम इस साल और ज्यादा कंपनियों को कैंपस भर्ती केलिए आमंत्रित कर रहे हैं।
इस साल नौकरियों की खस्ता हालत देखकर संस्थान छात्रों को अधिक वेतनवाली नौकरियों के सपने देखने से परहेज करने की सलाह दे रही है। पिछले साल करीब 230 कंपनियां नए लोगों की नियुक्तियों के सिलसिले में आई थी।
डीन ने कहा कि वित्तीय संकट का सामना कर रही आईटी, रियल एस्टेट कं पनियां भले ही नए लोगों की भर्ती करने से परहेज करें लेकिन टेलीकॉम, फार्मा और स्वास्थ्य क्षेत्रों का कारोबार काफी बेहतर रहा है और इस साल इनकेनए लोगों की भर्ती करने की काफी बेहतर संभावनाएं हैं।
देश की सबसे बड़ी निजी सेल्लुलर सेवा प्रदाता एयरटेल ने इस साल कैंपस आकर भर्ती करने की अपनी मंशा से संस्थान को अवगत कराया है। राव ने कहा कि सिर्फ एयरटेल ही नहीं बल्कि अन्य सेल्लुलर सेवा प्रदाता भी नियुक्ति करने केउद्देश्य से हमारे यहां आ रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले तीन सालों से आईटी और दूरसंचार का प्रदर्शन खस्ता रहा है और इनकी जगह नई कंपनियां भर्ती करने के मामले में तेजी से आगे आ रही है।
उदाहरण केलिए, अगर इन दो क्षेत्रों की वर्ष 2006 में नौकरियों के दिए गएऑफर में हिस्सेदारी 56 फीसदी रही तो वर्ष 2007 में यह घटकर 50 फीसदी और वर्ष 2008 इसमें और गिरावट आई और यह घटकर 36 फीसदी रह गया।
वित्तीय सेवा प्रदान करनेवाली कंपनियों के रुझान भी कुछ इसी तरह के रहे हैं। इस क्षेत्र की वर्ष 2008 केलिए नौकरियों के ऑफर में हिस्सेदारी वर्ष 2007 के 17 फीसदी के मुकबले घटकर 14 फीसदी रही।
अगर रियल एस्टेट क्षेत्र की बात करें तो वर्ष 2006-07 में इनका कारोबार काफी फल-फूल रहा था लेकिन इस समय इस क्षेत्र पर मंदी की भीषण मार पडी है। इस क्षेत्र की नौकरियों के दिए कुल ऑफर में हिस्सेदारी 6 फीसदी रही जबकि वर्ष 2008 में इनका योगदान भी 6 फीसदी ही रहा।
हालांकि आईएसबी उद्यमशीलता को ज्यादा बढ़ावा दे रही है, इस साल इसने वर्ष 2009 के कुछ छात्रों को आईएसबी के पूर्व छात्रों द्वारा हाल में ही शुरू किए गए कंपनियों में नौकरी दिलाने का फैसला किया है।
इस बारे में उप डीन अजित रंगनेकर ने कहा कि इन नई कंपनियों केलिए अपनी जैसे ही सोच रखनेवाली लोगों को नियुक्त करने में ज्यादा सहूलियत महसूस करेगी।