उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास अब अपने पैर पसारने लगा है। इसी का नतीजा है कि लखनऊ-कानपुर व इसके आस-पास के इलाकों के दिन भी अब फिरने वाले हैं।
तीन साल से अटके लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (एलआईडीए) की ओर से लखनऊ-कानपुर हाइवे के साथ प्रस्तावित औद्योगिक एन्क्लेव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है और यह धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है। एलआईडीए इस परियोजना के प्रथम चरण के तहत लखनऊ जिले में 200 एकड़ जमीन अधिग्रहण की योजना पर काम कर रही है।
अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक वार्ष्णेय ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पहले चरण के तहत चार गांवों-नटकोर, बंथारा, सिकंदरपुर और मिरनपुर पिनवट की जमीन अधिग्रहित की जाएगी। इसके बारे में राज्य सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।
वार्ष्णेय ने बताया कि जमीन अधिग्रहण के लिए एलआईडीए को हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (हुडको) 73 करोड़ रुपये का लोन मुहैया कराएगी। यूपी इंडस्ट्रीयल कमिश्नर अतुल कुमार गुप्ता की अध्यक्षता वाले बोर्ड ने इस परियोजना के प्रारूप और नक्शे को अनुमति दे दी है।
उन्होंने कहा कि हुडको से लोन मिलने के बाद उसे तत्काल लखनऊ कलेक्ट्रेट में जमा करा दिया जाएगा, ताकि जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जा सके। यूपी में नोएडा के बाद एक और औद्योगिक हब विकसित करने के मकसद से इस परियोजना का प्रस्ताव मुलायम सिंह यादव की सरकार के कार्यकाल में लाया गया था।
लखनऊ-कानपुर हाइवे के पास कॉरिडोर बनने से इस इलाके में चल रहे परंपरागत उद्योगों- चिकन वर्क, चमड़ा उद्योग, कपड़ा उद्योग आदि के विकास को भी गति मिलेगी। उधर, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी ने भी लखनऊ में अपनी शाखा खोलने की इच्छा जताई है।