प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद भी आंदोलन से पीछे न हटते हुए किसानों ने सोमवार को लखनऊ में महापंचायत कर अपनी ताकत दिखाई। किसानों ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी कानून और बिजली संशोधन अध्यादेश की वापसी तक आंदोलन जारी रखेंगे।
राजधानी के ईको गार्डन में बड़ी तादाद में जुटे किसानों के बीच भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन अकेले कृषि कानूनों पर ही नहीं है बल्कि इसके साथ और भी कई मांगे हैं। जब तक उन सबका समाधान नहीं होता है आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों के बाकी मुद्दों पर भी बातचीत नहीं होगी वो वापस नहीं जाएंगे। टिकैत ने कहा कि उन किसानों का क्या जो आंदोलन के दौरान शहीद हुए और किसानों को कुचलने की घटना में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को अब तक क्यों नहीं हटाया गया। किसान नेता ने कहा कि सरकार से आमने सामने बातचीत के बाद ही घर वापसी होगी। राकेश टिकैत ने कहा कि ऐसा लगता है कि कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की घोषणा के बाद सरकार किसानों से बात नहीं करना चाहती है। सरकार को यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि उसने कानूनों को निरस्त कर दिया है और वह हमसे बात करना नहीं चाहती है, हम अपने घरों को लौटना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार के साथ 12 दौर की बातचीत हो चुकी है। अब तक हमारे 750 किसान आंदोलन में शहीद हो गए हैं।
महापंचायत में भाग लेने पहुंचे योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों और जनता ने बंगाल में छोटा सा इंजेक्शन लगाया था। उत्तर प्रदेश में बड़ा वाला इंजेक्शन लगाना होगा। उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार की ओर से एमएसपी पर कोई बात नहीं हुई है। सरकार में बैठे लोगों को अहंकार बड़ा है और जनता ही इसका इलाज करेगी। संयुक्त किसान मोर्चा नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि जायज मांगों को लेकर आंदोलन जारी रहेगा और जो भी पहले से कार्यक्रम तय किए गए हैं वो चलते रहेंगे।
लखनऊ महापंचायत में मोर्चा ने छह सूत्री मांगपत्र किसानों के बीच रखा और कहा कि सरकार को इन पर तुरंत बातचीत शुरू करनी चाहिए। इन छह मांगों में एमएसपी को लेकर कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल वापसी, पराली जलाने पर जुर्माने के प्रावधानों को खत्म करना, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी, मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और मारे गए किसानों को मुआवजा देना शामिल है। मोर्चा ने सिंघु बार्डर पर मृत किसानों के लिए स्मारक बनाने के लिए सरकार से जमीन भी मांगी है। रविवार को किसानों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भी इन मांगों को उठाया था। पत्र में कहा गया है कि सरकार को तुरंत किसानों से वार्ता बहाल करनी चाहिए। जब तक वार्ता बहाल नहीं होगी, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
