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कपड़ा उद्योग होने लगा तार-तार

Last Updated- December 10, 2022 | 4:20 PM IST

डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती से निर्यातकों, खासकर कपड़ा निर्यातकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


इसकी वजह से भारतीय टेक्सटाइल उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, वहीं इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की नौकरियों पर भी असर पड़ रहा है। अनुमान के मुताबिक, 2007-08 के दौरान निर्यात में आई कमी की वजह से तकरीबन 3.5 लाख कामगारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।


ये आंकड़े तो केवल प्रत्यक्ष रूप से इस कारोबार में लगे लोगों का है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र से जुड़े लाखों हाथों का काम छिन गया है। दरअसल, कपड़ा उद्योग के साथ-साथ रंगाई, बुनाई, केमिकल्स, पैकेजिंग, हथकरघा आदि से जुड़े लोगों के सामने भी नौकरी का संकट खड़ा हो गया है।


वर्ष 2006-07 में भारतीय टेक्सटाइल व कपड़ा उद्योग की ओर से 7,600 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था, जबकि 2007-08 में इसमें 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट अमेरिकी मंदी और रुपये की मजबूती की वजह से आई है। टेक्सटाइल कमिश्नर और कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) के चेयरमैन का जे. एन. सिंह ने कहा कि टैक्सटाइल उद्योग से जुडे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काफी लोगों का रोजगार छिन गया है।

First Published - April 5, 2008 | 1:13 AM IST

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