प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के बीच सूचना साझा करने के करार की राह में दूसरे देशों के साथ की गई कर संधि आड़े आ रही है। इस तरह की कर संधियों में गोपनीयता का प्रावधान होता है।
आयकर विभाग गोपनीयता प्रावधान से बंधा है, जो उसे कर संधि के तहत खासतौर पर विदेश की इकाइयों के बारे में हासिल जानकारी साझा करने से रोकता है। एक वरिष्ठ कर अधिकारी ने कहा, ‘जानकारी साझा करनेे में कुछ अपवाद और सीमाएं हैं तथा एक दायरे तक ही ब्योरा साझा किया जा सकता है।’
उन्होंने कहा कि कर विभाग को घरेलू के साथ ही विदेश से भी विभिन्न स्रोतों से काफी सूचनाएं प्राप्त होती हैं, जिनमें से कई बेहद संवेदनशील प्रकृति की होती हैं। ऐसे में इन जानकारियों को अन्य जांच एजेंसियों या नियामकों के साथ साझा नहीं किया जा सकता है, क्सरेंकि सूचनाओं के आदान-प्रदान करार के तहत जानकारी का खुलासा नहीं करने के सख्त प्रावधान का पालन करना होता है। सीबीडीटी और आयकर विभाग दोहरे कराधान निषेध करार या कर सूचना आदान-प्रदान समझौतों के तहत दूसरेे देशों और कर के लिहाज से मुफीद देशों से जानकारियां हासिल करते हैं। सूत्रों ने कहा कि विदेशी इकाइयों के बारे में सूचना साझा करने को लेकर बंदिशों के कारण बाजार नियामक के लिए जानकारियां हासिल करना या धनशोधन के मकसद से स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले वास्तविक लाभार्थियों को पकडऩा कठिन होगा।
घरेलू निवेशकों के अलावा सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भी निगरानी करता है और मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका और ब्रिटेन आदि देशों से आने वाले निवेश के वास्तविक लाभार्थी पर भी नजर रखता है।सूत्रों ने कहा कि सीबीडीटी और सेबी ने इन शर्तों को ध्यान में रखकर ही आपस में समझौता (एमओयू) किया है।
इस बारे में सीबीडीटी का पक्ष जानने के लिए विस्तृत प्रश्नावली भेजी गई लेकिन कोई जवाब नहीं आया।यह एमओयू जुलाई से प्रभावी है। इसमें कहा गया है कि दोनों संस्थाओं की ओर से स्वत: और नियमित तौर पर जानकारियां साझा की जाएंगी।
हालांकि सूचनाओं को साझा करने के बारे में मानक परिचालन प्रक्रिया का उल्लेख नहीं है।आमतौर पर और इस करार से पहले आयकर विभाग को स्टॉक एक्सचेंज से उन मामलों में सालाना आधार पर ट्रेडिंग डेटा की जानकारी प्राप्त होती है, जिसमें प्रतिभूति लेनदेन कर का खुलासा किया जाता है।
इसमें संबंधित व्यक्ति और कंपनी के बारे में पूरी जानकारी होती है। इसके अलावा पूंजीगत प्राप्ति के मामले में भी सेबी द्वारा जानकारी साझा की जाती है।
दूसरी ओर आयकर विभाग सेबी द्वारा अनुरोध किेए जाने और कई बार स्वत: संज्ञन लेते हुए जांच आदि के लिए जानकारी मुहैया कराता है। आमतौर पर आयकर विभाग सरकार द्वारा अधिसूचित किए बिना कोई व्यक्तिगत जानकारी मुहैया नहीं करा सकता है।