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ITR Filing 2025: आयकर रिटर्न (ITR) समय पर, यानी 15 सितंबर तक दाखिल करना सिर्फ नियम पूरा करने के लिए नहीं है। अगर आप देरी करते हैं, तो केवल जुर्माना ही नहीं बढ़ता, बल्कि ब्याज, टैक्स लाभ का नुकसान और भविष्य की वित्तीय योजना पर असर भी पड़ सकता है। यह जानकारी चार्टर्ड अकाउंटेंट नियति शाह, 1 फाइनेंस में पर्सनल टैक्स वर्टिकल की हेड ने दी।
देर से फाइल करने का जुर्माना (Section 234F)
आयकर अधिनियम की धारा 234F के तहत रिटर्न समय पर नहीं भरने पर जुर्माना लागू होता है:
शाह ने बताया, “यह जुर्माना तब भी लागू होगा जब आपका टैक्स पहले ही TDS के जरिए कट चुका हो और अतिरिक्त भुगतान की आवश्यकता न हो।”
अतिरिक्त ब्याज चार्ज (Sections 234A, 234B, 234C)
सिर्फ जुर्माना ही नहीं, देर से रिटर्न पर बिना भरे या कम भरे टैक्स पर भी ब्याज लगता है:
शाह ने बताया, “जिन लोगों की टैक्स देनदारी ज्यादा होती है, उनके लिए थोड़ी सी देरी भी कुल टैक्स बिल को काफी बढ़ा सकती है।”
ये नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं-
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उदाहरण से समझें:
मान लीजिए कोई सैलरीड व्यक्ति जिसकी इनकम लगभग 12 लाख रुपये है। अगर वह 1 अक्टूबर को फाइल करता है बजाय 15 सितंबर के, तो शाह के अनुसार खर्च इस तरह होंगे:
कुल खर्च: 98,226 रुपये
शाह का कहना है, “15 सितंबर के बाद ITR फाइल करना सिर्फ जुर्माना बढ़ाने वाला नहीं है, बल्कि टैक्स लचीलापन और कैश फ्लो पर भी असर डालता है। समय पर रिटर्न फाइल करना अब वित्तीय सुरक्षा बन चुका है।”